UPSC चेयरमैन का काम और नया अपडेट
अगर आप सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं तो UPSC चेयरमैन नाम सुनते ही दिमाग में सवाल आते हैं – ये व्यक्ति क्या करता है, उसका फैसला हमारी परीक्षा को कैसे बदलता है? चलिए आसान भाषा में समझते हैं।
UPSC चेयरमैन के मुख्य जिम्मेदारियां
सबसे पहले जानें कि UPSC चेयरमैन का काम सिर्फ नाम लिखना नहीं होता। वह पूरे चयन प्रक्रिया की निगरानी करता है – प्री-लिखित परीक्षा, mains और interview तक। हर साल नई नीति या बदलाव लाने की शक्ति भी उसके पास होती है। इसलिए जब भी कोई नया चेयरमैन आता है, उम्मीदवारों को तैयार रहना चाहिए कि प्रश्नपत्र में क्या बदल सकता है।
चेयरमैन परीक्षा के नियम बनाते हैं, जैसे कि वैकल्पिक विषयों का विकल्प, या उम्र सीमा में छोटा बदलाव। वह सिविल सेवा बोर्ड की बैठकें चलाता है और सरकार को चयन पर सलाह देता है। इन सबका असर सीधे तौर पर हमारी तैयारी रणनीति पर पड़ता है।
हालिया नियुक्ति और संभावित परिवर्तन
2024 में नई नियुक्ति हुई थी – डॉ. राजीव सिंग ने UPSC चेयरमैन का पद संभाला। उनका बैकग्राउंड प्रशासनिक सेवा से है, इसलिए कई लोग उम्मीद कर रहे हैं कि वे प्रैक्टिकल टेस्ट को और ज़्यादा महत्व देंगे। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि अगले साल पेपर में केस स्टडीज बढ़ सकती हैं।
डॉ. सिंग ने पहले ही कहा था कि डिजिटल रिव्यू सिस्टम को पूरी तरह से लागू किया जाएगा, जिससे ऑनलाइन आवेदन आसान होगा। इसका मतलब है कि आपको दस्तावेज़ अपलोड करने की प्रक्रिया में कम झंझट होगी और ज्यादा समय पढ़ाई पर लगेगा।
अगर आप अभी तक अपना एप्लिकेशन फॉर्म नहीं भरे हैं तो इस अपडेट को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द पूरा कर लें। साथ ही, नई दिशा-निर्देशों के अनुसार सिलेबस की समीक्षा करना न भूलें – कुछ पुराने टॉपिक्स कम हो सकते हैं और नए क्षेत्रों का जोड़ हो सकता है।
उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे UPSC के आधिकारिक नोटिफिकेशन को रोज़ चेक करें, क्योंकि चेयरमैन द्वारा जारी किसी भी छोटे बदलाव का असर बड़े फैसले में दिख सकता है।
समझदारी यह होगी कि आप अपनी पढ़ाई की योजना लचीली रखें, ताकि नया पैटर्न आए तो तुरंत एडेप्ट कर सकें। यही तरीका है सफलता के करीब पहुंचने का, चाहे चेयरमैन कोई भी हों।
भारत के सबसे युवा कुलपति से UPSC चेयरमैन तक: जानिए डॉ. मनोज सोनी की यात्रा
डॉ. मनोज सोनी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया है। अपनी नियुक्ति के करीब पांच साल पहले उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया। सोनी, जो पहले भारत के सबसे युवा कुलपति थे, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं।