साइक्लोन रेमल: बंगाल की खाड़ी में आया पहला तूफान, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और ओडिशा में तबाही
साइक्लोन रेमल ने बंगाल की खाड़ी में मचाई तबाही
साइक्लोन रेमल का नाम सुनते ही बंगाल के कई लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई थीं। मई के आखिरी सप्ताह में जब मौसम विभाग ने चेतावनी दी कि एक भीषण चक्रवात तेजी से बंगाल की खाड़ी में गहराता जा रहा है, तब लोगों की धड़कनें बढ़ गईं। 24 मई 2024 को बना यह सिस्टम पूरे सीजन का पहला बड़ा तूफान बन गया। 26 मई की आधी रात को जब रेमल पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपुपारा बॉर्डर के बीच जमीन से टकराया, तो 110 से 140 किलोमीटर की रफ्तार से तेज हवाएं और मूसलधार बारिश शुरू हो गईं।
इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने लैंडफॉल से पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि हवाओं की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। इस दौरान बिजली की गुल, खंभों के गिरने और सड़कों पर पेड़ उड़ने की खबरें लगातार आती रहीं। तूफान के चलते पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों का संपर्क टूट गया, और बांग्लादेश के सुंदरबन इलाकों में लाखों लोग बिना बिजली और पानी के फँस गए। ओडिशा भी इस तूफान के असर से बच नहीं सका।
जिंदगियां प्रभावित, करोड़ों की जनसंख्या बेहाल
इस चक्रवात का खौफ हवा के झोंकों या पानी की बौछारों तक सीमित नहीं था। भीषण तूफान ने 85 से ज्यादा लोगों की जान ली — भारत में 65 और बांग्लादेश में 20। बंगाल, बांग्लादेश, ओडिशा और पूर्वोत्तर भारत के कई इलाकों में पानी भर गया। तूफान ने करीब 637 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान पहुंचाया। सिर्फ बांग्लादेश में ही 3 करोड़ से अधिक लोग बिजली के बिना रह गए। IMD लगातार अलर्ट भेजता रहा और प्रशासन ने कई जगहों पर लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।
रेमल का नाम ओमान ने सुझाया, जिसका अर्थ है 'रेत'। यह नाम तो सीधा-साधा लगता है, मगर इसकी तबाही ने लोगों के जीवन में गहरे निशान छोड़ दिए। सुंदरबन इलाके के गांव अभी भी बेहाल हैं — फसलों को भारी नुकसान पहुंचा, झोपड़ियां ढह गईं और नावें डूब गईं। दूर-दराज के गांवों में कई दिनों तक संपर्क भी नहीं हो पाया।
- पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में बिजली गुल और पानी भरा रहा।
- बांग्लादेश में सुंदरबन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां तेज़ हवाओं और बारिश ने हालात बिगाड़ दिए।
- ओडिशा के तटीय हिस्सों तक तेज बारिश और अलर्ट जारी हुआ।
हर साल मई-जून और अक्टूबर-नवंबर में बंगाल की खाड़ी की तरफ से ऐसे खतरनाक तूफान आते हैं। प्रशासन स्कूल-कॉलेज बंद करवाता है, बोट-फेरी सेवाएं रोक देता है और लाखों लोगों को राहत कैंप में भेज देता है। इस बार भी अफसरों की टीमों ने पहले से राहत सामग्री, दवा और खाने का स्टॉर किया, ताकि मुश्किल वक्त में लोगों की मदद की जा सके।
रेमल की आंधी और पानी ने यह दिखा दिया कि सुंदरबन इलाके की निचली बस्तियां कितनी संवेदनशील हैं। चक्रवात के बाद जिन परिवारों ने सब कुछ खो दिया, उनके लिए फिर से सामान्य जिंदगी पाना आसान नहीं है।
Bhupender Gour
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