भारत के सबसे युवा कुलपति से UPSC चेयरमैन तक: जानिए डॉ. मनोज सोनी की यात्रा

डॉ. मनोज सोनी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. मनोज सोनी का जन्म गुजरात के आनंद जिले में हुआ था। वह अपने प्रारंभिक शिक्षा सत्र से ही मेधावी छात्र रहे हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों में हुई और उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने गुजरात के प्रमुख संस्थानों से अध्ययन किया।

उन्होंने राजनीति विज्ञान में विशेषज्ञता प्राप्त की और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गहरी रुचि के साथ अपने अध्ययन को आगे बढ़ाया। उनकी शैक्षिक यात्रा ने उन्हें न केवल एक सफल शिक्षा शास्त्री बनाया बल्कि एक प्रेरणादायक नेता भी बनाया।

भारत के सबसे युवा कुलपति का खिताब

डॉ. सोनी को भारत के सबसे युवा कुलपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ जब उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा के कुलपति का कार्यभार संभाला। उस समय उनकी उम्र मात्र 40 वर्ष थी। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने कई नए आयाम प्राप्त किए और शैक्षिक गुणवत्ता में भी सुधार हुआ।

उन्होंने 2005 से 2008 तक इस पद पर कार्य किया और इसके पश्चात उन्हें डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ओपन विश्वविद्यालय, गुजरात का कुलपति नियुक्त किया गया। इस विश्वविद्यालय में उन्होंने 2009 से 2015 तक दो कार्यकाल संभाले।

शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान

शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. सोनी का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने न केवल उच्च शिक्षा संस्थानों का नेतृत्व किया बल्कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 'वर्ल्ड एजुकेशन कांग्रेस ग्लोबल अवार्ड फ़ॉर डिस्टेंस लर्निंग लीडरशिप' से सम्मानित किया गया।

इसके अलावा, उन्हें 'मानद मेयर-प्रेसिडेंट ऑफ़ द सिटी ऑफ़ बैटन रूज' का खिताब भी मिला। इस प्रकार के सम्मान ने उनके शिक्षा क्षेत्र में अप्रतिम योगदान को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी।

UPSC में योगदान और चेयरमैन पद

डॉ. सोनी ने केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) में सदस्य के रूप में 28 जून 2017 से कार्यभार संभाला। तत्पश्चात, उन्होंने 16 मई 2023 को UPSC के चेयरमैन के पद की जिम्मेदारी ली। उनके कार्यकाल में UPSC ने कई नई पहल और सुधारों को अपनाया।

हालांकि, व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। इस निर्णय ने शिक्षा और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में उनके भविष्य के कदमों के प्रति जिज्ञासा बढ़ा दी है।

व्यक्तिगत जीवन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी

डॉ. सोनी का व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही रोचक है जितना उनका पेशेवर जीवन। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करीबी संबंधों की चर्चा होती रही है। यह संबंध उनकी विचारधारा और शिक्षा के प्रति सशक्त दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।

डॉ. सोनी ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है लेकिन अपनी मेहनत और संकल्पबद्धता के बल पर उन्होंने हर चुनौती को अवसर में बदल दिया। उनके इस सफर से प्रेरणा लेने वालों की कमी नहीं है।

नए रास्तों की ओर

नए रास्तों की ओर

डॉ. सोनी के इस्तीफे से उत्पन्न हुई शून्यता को भरना आसान नहीं होगा। शिक्षा और सार्वजनिक सेवा में उनके जैसे अनूठे व्यक्तित्व का योगदान सदैव याद किया जाएगा।

आगे के रास्ते में उनके कदम किस दिशा में बढ़ेंगे, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन एक बात निश्चित है, डॉ. मनोज सोनी का नाम भारतीय शिक्षा और प्रशासनिक सेवा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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