टैरिफ: आज का अहम सवाल
आप कभी सोचते हैं कि जब आप मोबाइल या जूते खरीदते हैं तो कीमत में कितना हिस्सा टैक्स और टैरिफ से जुड़ा होता है? दरअसल, टैरिफ यानी आयात-निर्यात पर लगने वाला शुल्क, हमारी रोज़मर्रा की चीज़ों की कीमत को सीधे असर करता है। इस पेज पर हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि टैरिफ क्या है, हाल के बदलाव क्यों हुए और इनके पीछे का असर क्या है।
टैरिफ क्या होता है?
सरल शब्दों में कहें तो टैरिफ वह शुल्क है जो सरकार आयात या निर्यात की वस्तु पर लेती है। जब कोई कंपनी विदेश से सामान लाती है, तो उस पर तय दर के हिसाब से टैक्स लगता है – इसे हम इम्पोर्ट टैरिफ कहते हैं। इसी तरह अगर भारत का माल बाहर जा रहा हो, तो एक्सपोर्ट टैरिफ लागू हो सकता है, लेकिन अक्सर सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यह कम रखती है या हटाती भी है।
टैरिफ दो तरीके से काम करता है – एक तय प्रतिशत (उदाहरण: 10% कस्टम ड्यूटी) और दूसरा वैल्यू‑एडेड टैक्स (GST) जो सभी वस्तुओं पर लागू होता है लेकिन टैरिफ के बाद ही जोड़ता है। इस वजह से अंतिम कीमत में दोनों का मिलाजुला असर दिखता है।
2024‑25 में टैरिफ की मुख्य बातें
पिछले साल बजट में कई बदलाव आए थे: इलेक्ट्रॉनिक सामान, एयरोस्पेस कंपोनेंट और कुछ कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाया गया, ताकि भारतीय कंपनियां सस्ते में आयात कर सकें। वहीं मोटर वाहन और रबर के कुछ प्रकारों पर टैरिफ बढ़ा दिया गया, क्योंकि घरेलू उद्योग को बचाना मुख्य लक्ष्य था।
इन बदलावों से दो प्रमुख असर हुए – पहला, कंज़्यूमर प्रोडक्ट की कीमत में थोड़ी गिरावट देखी गई, जिससे आम आदमी को राहत मिली। दूसरा, कुछ सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल और रबर उद्योग ने अपनी उत्पादन लागत घटाने का मौका पाया, इसलिए नई कारें या टायर थोड़ा सस्ते हुए।
अगर आप एक छोटे व्यापारी हैं जो इलेक्ट्रॉनिक सामान आयात करते हैं, तो कम टैरिफ से आपका मार्जिन बढ़ सकता है। लेकिन याद रखें, GST अभी भी वही रहता है, इसलिए कुल लागत पूरी तरह नहीं घटेगी। दूसरी ओर, अगर आप किसान हैं और कृषि उपकरणों के लिए आयात देख रहे हैं, तो टैरिफ में वृद्धि आपके खर्च को बढ़ा सकती है, जिससे कीमतें बाजार में ऊपर जा सकती हैं.
टैक्स विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल पर एक आसान ट्रैकिंग सिस्टम दिया है जहाँ आप किसी भी प्रोडक्ट का HS कोड डालकर उसका वर्तमान टैरिफ देख सकते हैं। यह सुविधा विशेष रूप से आयात‑निर्यात व्यवसायियों के लिये फायदेमंद है, क्योंकि तुरंत अपडेट मिलते रहते हैं और अचानक बदलाव से बचा जा सकता है.
अंत में एक छोटा टिप: अगर आप उपभोक्ता हैं तो बिल पढ़ते समय हमेशा देखिए कि कुल कीमत में टैरिफ और GST दोनों का कितना हिस्सा है। इससे आपको समझ आएगा कि कौन‑सी चीज़ असल में महंगी हो रही है और किसमें बचत की जा सकती है.
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अमेरिकी शेयर बाजार: अप्रैल 2025 क्रैश से अगस्त रिकवरी तक का बड़ा विश्लेषण
अप्रैल 2025 में टैरिफ विवाद से अमेरिकी बाजार दो दिनों में 6.6 ट्रिलियन डॉलर खो बैठे—VIX 45.31 तक उछला, तेल 2021 के स्तर पर फिसला। लेकिन अगस्त तक सूचकांक फिर रिकॉर्ड के करीब लौट आए। इंडस्ट्रियल्स, यूटिलिटीज और फाइनेंशियल्स ने बढ़त संभाली। फेड दर कटौती पर सतर्क है, PPI को ‘खतरनाक’ बताया गया। आगे राह टैरिफ, महंगाई और कॉरपोरेट मार्जिन पर निर्भर है।