रिपो रेट समझें: आपका पैसा और ब्याज दर का सीधा संबंध
जब RBI कहता है "रिपो रेट बढ़ाया गया", तो इसका मतलब आपके बचत खाते, फिक्स्ड डिपॉज़िट या घर के लोन पर असर पड़ता है। रिपो रेट वो कीमत है जिसपर बैंक रिज़र्व बँक (RBI) से पैसे उधार लेते हैं और फिर वही दर ग्राहकों को देते हैं। सरल शब्दों में, यह भारत की मौद्रिक नीति का सबसे अहम हथियार है, जो अर्थव्यवस्था के तेज‑धीमे होने को नियंत्रित करता है।
रिपो रेट की बुनियादी बातें
RBI दो तरह की रिपो दरें रखता है: ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (ओएमओ) और रेपो – जहाँ बैंक RBI से अल्पकालिक उधार लेते हैं, और फॉरवर्ड रेपो – भविष्य में तय तारीख़ पर वापस करने का वादा। आमतौर पर ये दरें 2‑4 प्रतिशत के बीच रहती हैं, लेकिन महंगाई या आर्थिक slowdown आने पर बदलाव होते रहते हैं। जब RBI रिपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता पैसा मिलता है, जिससे वे लोन की दरें कम कर देते हैं और लोग घर या कार खरीदने में आसानी महसूस करते हैं। इसके उलट, बढ़ती दरों से उधारी महंगी हो जाती है, इसलिए खर्चा कम होता है और महंगाई पर नियंत्रण रहता है।
हाल के बदलाव और उनका असर
2024‑25 की शुरुआत में RBI ने रिपो रेट को 6.50% से 6.75% तक बढ़ाया था, क्योंकि कीमतें लगातार ऊपर जा रही थीं। इस कदम से बैंक लोन पर ब्याज थोड़ा बढ़ा, लेकिन बचत खातों और फिक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़ गया। निवेशक अब शेयर बाजार में हल्का संशय दिखाते हैं—जैसे हमने "बजट 2025" लेख में देखा कि Sensex थोड़ी गिरावट की ओर था। दूसरी तरफ, रियल एस्टेट लोन की दरें 8‑9% तक पहुँच गईं, जिससे घर खरीदने वाले कुछ देर के लिए रुके।
अगर आप अभी अपना फिक्स्ड डिपॉज़िट खोलना चाहते हैं, तो इस समय थोड़ा लाभदायक है—उच्च ब्याज मिलने की संभावना रहती है। परन्तु अगर आपका लोन चल रहा है, तो अतिरिक्त 0.25% के बढ़ाव का मतलब आपके EMI में लगभग 2‑3 प्रतिशत अधिक भुगतान हो सकता है। यह छोटा सा अंतर लंबी अवधि में काफी रकम जोड़ देता है, इसलिए पुनर्वित्त या रिफाइनेंस की सोच सकते हैं।
वित्तीय समाचारों में अक्सर रिपो रेट को "अर्थव्यवस्था का तापमान" कहा जाता है। जब RBI इस दर को घटाता है, तो छोटे व्यवसाय और स्टार्ट‑अप्स के लिए पूँजी सस्ती हो जाती है, जिससे नई नौकरियों की संभावना बढ़ती है। वहीं, महंगाई को काबू में रखने के लिये बढ़ी हुई रिपो रेट फालतू खर्चों को रोकने में मदद करती है—जैसे हमने "बजट 2025" में देखा कि तेल‑गैस कंपनियों का स्टॉक दबाव में रहा।
तो, आपके लिए क्या मतलब? अगर आप बचतकर्ता हैं तो उच्च रिपो रेट का फायदा ले सकते हैं; लोनधारक को सावधानी बरतनी चाहिए और संभव हो तो ब्याज दर कम करने वाले विकल्पों की तलाश करनी चाहिए। एक छोटा कदम—जैसे अपने मौजूदा लोन के री‑शेड्यूल पर बात करना—भविष्य में बड़ी बचत करवा सकता है।
रिपो रेट हर महीने नहीं बदलता, लेकिन जब भी RBI इसको संशोधित करता है तो वित्तीय बाजारों में हलचल देखी जाती है। इसलिए दैनिक समाचार इन्डिया पर अपडेट पढ़ते रहें, ताकि आप सही समय पर सही निर्णय ले सकें—चाहे वो बचत बढ़ाना हो या लोन की दर कम करना।
आज आरबीआई एमपीसी घोषणा करेगी रेपो रेट: जानें कब और कहाँ देखें
आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रेपो रेट की घोषणा करने जा रही है। यह निर्णय आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में होने वाली इस घोषणा का लाइव स्ट्रीमिंग में प्रसारण किया जाएगा।
आरबीआई मौद्रिक नीति: 8वीं बार 6.5% पर अपरिवर्तित रहा रेपो रेट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8वीं बार रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। यह निर्णय 5-7 जून को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिया गया, जिसमें 6 में से 4 सदस्यों ने वर्तमान दर को बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि FY24 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.2% रहने का अनुमान है।