आरबीआई मौद्रिक नीति: 8वीं बार 6.5% पर अपरिवर्तित रहा रेपो रेट
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर निर्णय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद घोषणा की है कि रेपो रेट को 6.5% पर ही बरकरार रखा जाएगा। यह निर्णय लगातार आठवीं बार लिया गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह फैसला कि 6 में से 4 सदस्यों ने वर्तमान मौद्रिक नीति को बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया है। यह बैठक 5 से 7 जून के बीच आयोजित की गई थी।
जीडीपी वृद्धि की उम्मीदें
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 (FY24) में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.2% रहने का अनुमान है। अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमानों को क्रमशः 7.3%, 7.2%, 7.3% और 7.2% पर रखा गया है। इसके साथ ही पूरी वर्षा जीडीपी वृद्धि FY25 के लिए 7.2% रहने का अनुमान किया जा रहा है।
अन्य दरों का महत्वपूर्ण प्रबंधन
आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट को 6.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट को 6.75% पर भी बरकरार रखा है। यह कदम बैंकिंग प्रणाली में तरलता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
महंगाई दर की स्थिति
आरबीआई के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए 4.5% पर रहने का अनुमान है। तिमाही मुद्रास्फीति अनुमानों को क्रमशः पहली तिमाही में 4.9%, दूसरी तिमाही में 3.8%, तीसरी तिमाही में 4.6%, और चौथी तिमाही में 4.5% पर रखा गया है। इसके साथ ही, मौजूदा आर्थिक स्थितियों में सुधार के संकेत दिए गए हैं, जिसमें PMI मैन्युफैक्चरिंग और सेवाएं शामिल हैं।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) में बदलाव
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के दिशानिर्देशों में संशोधन का भी प्रस्ताव रखा है, जो बैंक और छोटे वित्त बैंक को प्रभावित करेगा। आयात-निर्यात लेनदेन और बल्क डिपॉजिट की परिभाषा में भी बदलाव किया जाएगा।
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत
शक्तिकांत दास ने कहा कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में सुधार के संकेत मिले हैं, जिनमें निजी खपत में सुधार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भुगतान और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े सुधारों ने आर्थिक गतिविधियों को गति दी है। आरबीआई ने अपनी नीति में सुगमता को वापस लेने के अपने रुख को भी बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिसमें 6 में से 4 सदस्यों ने इस कदम को मंजूरी दी है।
इस प्रकार, भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे हैं और आरबीआई के इस नीति निर्णय से देश की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।