दिल्ली विश्वविद्यालय के ताज़ा ख़बरों का एक ही जगह सार
अगर आप दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) से जुड़ी हर खबर तुरंत जानना चाहते हैं तो सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम आपको परीक्षा परिणाम, एंट्रेंस अपडेट, कैंपस इवेंट और प्रोफेसर की नई पहल जैसी जानकारी सरल भाषा में देते हैं। रोज़मर्रा के सवालों के जवाब यहीं मिलेंगे, चाहे आप छात्र हों या अभिभावक.
परिक्षा परिणाम और रैंकिंग
DU का हर सेमेस्टर परिणाम अक्सर चर्चा का विषय बन जाता है। पिछले महीने बीए (हॉस्टल) में 87.5% पास दर आई, जबकि एमएससी फ़िज़िक्स ने राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 10 में जगह बनाई। अगर आप अपने मार्क्स या रैंक की पुष्टि चाहते हैं तो हम आपको आधिकारिक पोर्टल का लिंक और स्क्रीनशॉट गाइड देंगे—बिना किसी झंझट के।
एंट्रेंस, ड्रेसिंग कोड और कैंपस लाइफ़
दाखिला प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो गई है, और इस साल DU ने दो नई शाखाओं में सीटें बढ़ा दी हैं—डेटा साइंस और इकोनॉमिक्स। एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी के लिए हम सरल टिप्स देते हैं: पिछले वर्षों के पेपर को हल करें, टाइम मैनेजमेंट पर ध्यान दें और हेल्थी ब्रेक लें। साथ ही, कैंपस में ड्रेसिंग कोड बदल गया है—अब टी‑शर्ट पर लोगो नहीं, साफ़ शर्ट या ब्लेजर पसंद किया जाता है। ये छोटे‑छोटे बदलाव आपके दिनचर्या को आसान बना देंगे।
कैंपस इवेंट की बात करें तो इस साल DU में कई सांस्कृतिक फेस्टivals और तकनीकी कार्यशालाएँ होंगी। 'डूफ़ेस्ट' में स्टार्ट‑अप पिच, संगीत प्रतियोगिता और खेल के आयोजन हैं। इनमें भाग लेने से न सिर्फ आपका रेज़्यूमे चमकेगा बल्कि नेटवर्किंग का भी मौका मिलेगा। अगर आप पहली बार इवेंट में जाना चाहते हैं तो जल्दी टिकट बुक करें—क्योंकि सीटें सीमित रहती हैं।
अंत में, अगर आपको किसी विशेष विषय पर गहरी जानकारी चाहिए जैसे कि प्रोफेसर की रिसर्च या छात्र स्कॉलरशिप, तो हमारे सर्च बॉक्स का प्रयोग करके सीधे उस लेख तक पहुँच सकते हैं। हम हर हफ्ते नई अपडेट डालते रहते हैं, इसलिए पेज को बुकमार्क कर रखें और रोज़ाना चेक करें। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ी हर छोटी‑बड़ी खबर यहाँ मिल जाएगी—सिर्फ एक क्लिक में!
जी. एन. साईबाबा: एक शिक्षक से दोस्त तक की यात्रा और उससे सीखे सबक
राहुल पंडिता, एक पत्रकार, बताते हैं कि कैसे उन्होंने प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा से मुलाकात की और उनसे सीख ली। साईबाबा, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफेसर रहे थे, माओवादी संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। उनकी मुलाकातें और अनुभव उन लोगों से जुड़े थे जिन्होंने माओवादी आंदोलन के कारण पीड़ा का सामना किया। उनकी मौत के बाद, न्याय के प्रति विचारशीलता की आवश्यकता पर जोर दिया।