गुजरात में चांदिपुरा वायरस का कहर: किस तरह घातक वायरस ने ली 6 जानें?

गुजरात में चांदिपुरा वायरस का प्रकोप

गुजरात में चांदिपुरा वायरस के प्रकोप ने हड़कंप मचा दिया है। अब तक इस वायरस के कारण 6 बच्चों की मौत हो चुकी है और 12 मामलों की पुष्टि हुई है। इस वायरस का नाम महाराष्ट्र के चांदिपुरा जिले पर पड़ा है, जहां पहली बार इसका प्रकोप दर्ज किया गया था।

चांदिपुरा वायरस: लक्षण और फैलाव

चांदिपुरा वायरस या चांदिपुरा वायरल एन्सेफेलाइटिस (सीएचपीवी) के लक्षणों में फ्लू जैसे बुखार, मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफेलाइटिस), सिरदर्द, उल्टी, दौरे, कोमा, मांसपेशियों का दर्द, पेट में दर्द, डायरिया और श्वसन संबंधी परेशानियां शामिल हैं। यह वायरस मुख्य रूप से मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाई जैसे वाहकों द्वारा फैलता है और यह आपस में संसर्गि नहीं होता।

स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि 12 मरीजों के नमूनों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में जांच के लिए भेजा गया है। मरीजों में से चार साबरकांठा जिले के हैं, तीन अरावली के, एक महिसागर का और एक खेड़ा का है। इसके अलावा, दो मरीज राजस्थान से और एक मध्य प्रदेश से हैं। सभी मरीजों का गुजरात में ही उपचार किया गया है।

मौतों और उपचार की स्थिति

मौतों और उपचार की स्थिति

अब तक वायरस के कारण पांच मौतें हिमतनगर के सिविल अस्पताल में हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में मरीजों की जान की सुरक्षा के लिए इमरजेंसी उपचार पर जोर दिया है। हालांकि, इस वायरस के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए सावधानी बरतना ही सबसे बड़ा उपाय है।

एहतियाती कदम

एहतियाती कदम

वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं। इसमें पूरा आस्तीन वाले कपड़े पहनना, साफ-सफाई रखना, पानी को जमा न होने देना, पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना और उचित स्वच्छता बनाए रखना शामिल है। प्रभावित क्षेत्रों में 18,646 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।

सरकार के कदम और जागरूकता

सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में गहन निगरानी शुरू कर दी है। 4,487 घरों की जांच की जा रही है और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनता को आवश्यक सावधानी बरतने के संदेश दिए जा रहे हैं।

चांदिपुरा वायरस को लेकर बड़ी चिंता यह है कि यह बच्चों को अधिक प्रभावित करता है, जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी का लाभ उठाता है और उन्हें तेजी से बीमार कर देता है। इस वजह से माता-पिता को अपने बच्चों की विशेष देखभाल और निगरानी करने की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण यह है कि संक्रमित क्षेत्र में लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सभी एहतियाती कदम उठाएं, ताकि इस घातक वायरस के प्रकोप से बचा जा सके। यही एकमात्र उपाय है जो अब हमें इस गंभीर स्थिति से बाहर निकाल सकता है। प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे रोग के लक्षणों को समझें और अपने चिकित्सक से संपर्क करें, यदि किसी भी प्रकार के संदिग्ध लक्षण दिखाई देते हैं।

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