फ्रैक्चर: पहचान, उपचार और रोकथाम
जब हम फ्रैक्चर, हड्डी या किसी शरीर के भाग में अचानक टूटना या चीरना. इसे अक्सर हड्डी का फट जाना कहा जाता है, तो यह शब्द सिर्फ मेडिकल रिपोर्ट तक सीमित नहीं रहता; खेल‑खेल में चोट, गाड़ी दुर्घटना या गिरने से भी यह हो सकता है।
भले ही आप क्रिकेट या फॉर्मूला‑1 जैसी तेज़ गति वाली खेल देख रहे हों, जब खिलाड़ी तेज़ मोमेंट में अचानक रुकते हैं या जमीन से टकराते हैं, तो हड्डी टूटना, सबसे आम स्पोर्ट्स फ्रैक्चर का रूप है. यही कारण है कि स्पोर्ट्स मेडिसिन, खेल‑खिलाड़ियों के इन्जरी को रोकने और सही करने में विशेषज्ञता वाला क्षेत्र अक्सर एथलीट्स के साथ जुड़ा रहता है।
फ्रैक्चर का पहला कदम सही समय पर X‑ray जांच, रोगी की हड्डी की स्थिति स्पष्ट करने वाली इमेजिंग तकनीक कराना है। बिना सटीक इमेज के डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि हड्डी किस हद तक टूटी है, क्या शिफ्टिंग है या टॉपिंग। इस कारण से कई अस्पताल अब डिजिटल X‑ray और 3‑डि सीटी स्कैन भी उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे जल्दी डाइग्नोसिस हो सके।
फ्रैक्चर से बचाव के टिप्स
अगर आप नियमित तौर पर जिम, दौड़ या किसी खेल‑क्रिया में हिस्सा लेते हैं, तो फ्रैक्चर से बचने के लिए कुछ आसान आदतें अपनानी चाहिए। पहला नियम: वार्म‑अप को कभी हल्का नहीं समझें। हड्डी और मांसपेशियों को तैयार करने के लिए 10‑15 मिनट हल्का स्ट्रेचिंग और हल्की कार्डियो बहुत फायदेमंद है। दूसरा नियम: सही जूते और सपोर्टिव गियर पहनें। फुटवियर में परफेक्ट कुशनिंग और एंकल सपोर्ट नहीं रहता तो पैर में अतिरिक्त स्ट्रेस बढ़ता है, जिससे हड्डी पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। तीसरा नियम: कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर आहार लें—दूध, पनीर, दालें, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां और धूप में थोड़ा समय बिताना हड्डी को मजबूत बनाता है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि चोट लगते ही डॉक्टर को दिखाएँ, खुद से दर्द को नज़रअंदाज़ न करें। कई बार हल्की फटने को “सिर्फ मोच” समझ लिया जाता है, पर देर से उपचार से हड्डी के ठीक होने में महीनों लग सकते हैं और रीहैब भी कठिन हो जाता है। रीहैब का मतलब सिर्फ ब्रेस या प्लास्टर लगाना नहीं; फिजियोथेरेपी, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और मुवमेंट एक्सरसाइज का सही क्रम हड्डी को फिर से मजबूत बनाता है।
सभी खबरों को देखते‑देखते आप देखेंगे कि क्रिकेट, टेनिस, फ़ॉर्मूला‑1 जैसी खबरों में भी फ्रैक्चर का ज़िक्र अक्सर आता है—जैसे तेज़ दौड़ में गिरना, बैट्समैन का बॉन्डिंग या ड्राइवर के तेज़ मोड़ में हड्डी का तनाव। इन उदाहरणों से पता चलता है कि फ्रैक्चर सिर्फ “डॉक्टरों की बात” नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी, खेल और यात्रा में भी इसका असर हो सकता है। इसलिए जब भी आप अपने शरीर में असामान्य दर्द या अजीब लक़व महसूस करें, तो तुरंत प्रोफ़ेशनल मदद लें।
इन मूल बातें जानकर आप फ्रैक्चर को समझ पाएंगे, सही समय पर पहचान कर सकेंगे और उचित उपचार शुरू कर सकेंगे। आगे के लेखों में हम अलग‑अलग प्रकार के फ्रैक्चर—ओपन, कॉम्पैक्ट, स्पोर्ट्स‑स्पेसिफिक और बच्चों में होने वाले फ्रैक्चर—पर विस्तार से बात करेंगे, साथ ही रिहैब के बेहतरीन वर्कआउट और डाइट प्लान भी शेयर करेंगे। अब आप तैयार हैं, जानते हैं कि कब और कैसे कदम बढ़ाना है, तो नीचे दिये गये लेखों को पढ़ें और अपने या अपने जान‑पहचान वालों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखें।
रिषभ पंट का फ्रैक्चर, पंचम टेस्ट में बाहर, नारायण जगदेसन बने प्रतिस्थानी
भारत के चमकते विकेटकीपर-बेट्समैन रिषभ पंट ने मैनचेस्टर के चौथे टेस्ट में पैर में फ्रैक्चर कर लिया, जिससे वह अंतिम टेस्ट में नहीं खेल पाएंगे। बिंगो बॉलिंग के दौरान चक्रव्यूहस्विंग के दौरान चोट लगने के बावजूद पंट ने आधा शतक बनाया। बॉलिंग बोरड के नेशनल चयन समिति ने तमिलनाडु के नारायण जगदेसन को विकल्प के रूप में बुलाया है। पंट की अनुपस्थिति टीम को बड़ी झटके जैसी लग रही है, जबकि उनका औसत 68.43 रहा।