मौलाना अबुल कलाम आज़ाद – जीवन, विचार और योगदान
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश की शिक्षा नीति के पीछे कौन था? वही व्यक्ति मौलाना अबुल कलाम आज़ाद थे। उनका नाम सुनते ही इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और शैक्षणिक सुधार याद आते हैं। इस लेख में हम उनके बचपन से लेकर भारत को जो उन्होंने दिया, सब कुछ आसान भाषा में बताएँगे।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 1888 में मदीना में पैदा हुए। बचपन में ही उन्हें अरबी, फ़ारसी और उर्दू की पढ़ाई मिली। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया, जहाँ उनका दिमाग खुलता गया। युवा अवस्था में वे अखबार लिखते और सामाजिक मुद्दों पर बहस करते रहे। इस समय उनकी सोच राष्ट्रीयवादी बननी शुरू हुई।
उनकी शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं थी। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए स्कूल खोले, महिलाओं की पढ़ाई को बढ़ावा दिया और भाषाई विविधता का सम्मान किया। उनका मानना था कि ज्ञान से ही समाज प्रगति करता है, इसलिए वे हमेशा साक्षरता पर ज़ोर देते रहे।
स्वतंत्रता संग्राम व राजनीति
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। उन्होंने तुरंत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और महात्मा गांधी के साथ मिलकर असहयोग आंदोलन चलाया। मौलाना आज़ाद को कई बार जमानत से बाहर रखा गया, पर उनका विश्वास नहीं टूटा।
आजादी के बाद 1947 में उन्हें प्रथम शिक्षा मंत्री नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल और कॉलेजों की योजना बनायीं। नई भाषा नीति, विश्वविद्यालय सुधार और मुफ्त शिक्षा उनके प्रमुख लक्ष्य थे। उन्होंने ‘नेशनल एजुकेशन प्लान’ तैयार किया, जिससे हर बच्चा पढ़ सके।
उनकी राजनीति सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि जनता के उत्थान पर आधारित थी। वह अक्सर कहते थे, “देश का विकास उसके लोगों की साक्षरता से ही संभव है।” इस सोच ने कई युवा को शिक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया।
आज भी उनके विचार हमारे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़े जाते हैं। उनका लिखित कार्य ‘भारत विभूति’ और ‘पुस्तकें मेरे दोस्त’ आज की पीढ़ी को इतिहास समझने में मदद करता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान, साहस और सेवा से ही बड़ा बदलाव आता है।
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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान का महत्व और उनकी याद में समर्पित
हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण वे भारतीय शिक्षा प्रणाली के पथप्रदर्शक बने। उनकी उपलब्धियों में आईआईटी और यूजीसी की स्थापना शामिल है। यह दिन शिक्षा के महत्व को दर्शाने और सामाजिक प्रगति में इसके योगदान को चिन्हित करता है।