प्रमोद भगत ने जापान में तीन स्वर्ण पदक जीतकर बनाया इतिहास
9 नवंबर, 2025 को जापान के शिजुओका सिटी में आयोजित जापान पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल 2025शिजुओका सिटी के दौरान, भारत के पैरा बैडमिंटन विजेता प्रमोद भगत ने एकल, युगल और मिश्रित युगल में तीन स्वर्ण पदक जीतकर अपने करियर का सबसे शानदार दिन लिखा। ओडिशा के इस खिलाड़ी ने न सिर्फ अपनी शारीरिक सीमाओं को पार किया, बल्कि दबाव के बीच भी अपनी मानसिक शक्ति का बखूबी प्रदर्शन किया। यह जीत भारतीय पैरा खेलों के लिए एक नया मील का पत्थर है — और यह जापान में हुई, जहां इस खेल को दुनिया का सबसे गंभीर तरीके से लिया जाता है।
एकल में जीत का जादू: 17-21, 21-19, 21-10
प्रमोद भगत की सबसे बड़ी जीत एसएल3 एकल फाइनल में आई। जापान के डाइसुके फुजिहारा ने पहला सेट 21-17 से जीत लिया, और दूसरे सेट में भी भगत 16-19 से पीछे रह गए। लग रहा था कि जीत जापानी खिलाड़ी के हाथ में है। लेकिन फिर वो आया — वो वोल्टेज, वो लहर, जो सिर्फ असली लड़ाके ही जानते हैं। भगत ने अपनी तेज़ रिटर्न्स और नेट पर बेहतरीन खेल के साथ तीसरे सेट में 21-10 से जीत दर्ज की। ये मुकाबला 1 घंटे 33 मिनट तक चला — एक ऐसा समय जिसमें दर्शकों के हाथ पसीने से भीग गए।
युगल जीत: सुकांत कदम के साथ भारतीय जोड़ी का जादू
पुरुष युगल फाइनल में, प्रमोद भगत और सुकांत कदम ने अपने ही देश के दो और खिलाड़ियों — जगदीश दिल्ली और नवीन शिवकुमार — को 21-17, 18-21, 21-16 से हराया। दूसरा सेट बाहरी रूप से अप्रत्याशित लगा, लेकिन यही तो खेल की असली बात है: जब एक जोड़ी दूसरी के दबाव को समझती है, तो वो उसे तोड़ देती है। भगत और कदम ने अपनी ताकत को एक दूसरे के साथ जोड़कर दिखाया कि भारत के पैरा बैडमिंटन में टीमवर्क कितना बड़ा तत्व है।
मिश्रित युगल: मनीषा रामदास के साथ दो शानदार सेट
तीसरा स्वर्ण पदक आया मिश्रित युगल एसएल4-एसयू5 में। भगत और मनीषा रामदास ने नितेश कुमार और तुलसीमथी मुरुगेसन के खिलाफ केवल 29 मिनट में 21-19, 21-19 से जीत हासिल की। ये दोनों सेट इतने करीब थे कि हर पॉइंट पर दर्शक खड़े हो गए। रामदास की नेट पर तेज़ रिटर्न्स और भगत की बैकलाइन गेम ने एक आदर्श जोड़ी बनाई। यह जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है — जहां महिलाएं और पुरुष एक साथ अपनी शक्ति दिखाते हैं।
भारतीय टीम का जबरदस्त रिकॉर्ड: कुल छह से अधिक स्वर्ण
प्रमोद भगत की तीन स्वर्ण पदक की उपलब्धि के बाद भी भारतीय टीम का जश्न नहीं रुका। कृष्णा नागर, टोक्यो पैरालंपिक चैंपियन, ने एसएच6 एकल में अमेरिका के माइल्स क्राजेवस्की को 22-20, 21-13 से हराकर स्वर्ण जीता। उन्होंने नित्या श्री के साथ मिश्रित युगल में भी स्वर्ण जीतकर दो पदकों का ताज चढ़ाया। सुकांत कदम ने एसएल4 एकल में रजत पदक हासिल किया, जहां उन्हें नवीन शिवकुमार से हार मिली। हार्दिक मक्कड़ और रूथिक रघुपति ने पुरुष युगल एसयू5 में रजत पदक जीता। कुल मिलाकर भारत ने इस टूर्नामेंट में छह से अधिक स्वर्ण पदक जीते — यह आंकड़ा किसी भी देश के लिए बड़ी बात है।
प्रमोद भगत का भावुक बयान: "यह जीत मुझे भविष्य के लिए प्रेरित करती है"
जीत के बाद प्रमोद भगत ने कहा, "जापान में तीन स्वर्ण पदक जीतना मायने रखता है। ऐसे देश में प्रदर्शन करना हमेशा खास होता है जो पैरा बैडमिंटन को महत्व देता है। हर मैच ने मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से परखा। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैंने दबाव को कैसे संभाला।" उन्होंने अपने कोचों, परिवार और भारतीय पैरा बैडमिंटन संघ को भी शुक्रिया अदा किया। उनका ये बयान सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि एक देश के अनगिनत युवाओं के लिए एक संदेश है — जो अपनी सीमाओं को देखकर डरते हैं, लेकिन भगत ने दिखाया कि सीमाएं तो सिर्फ दिमाग में होती हैं।
भविष्य की राह: पैरालंपिक्स की तैयारी शुरू
यह टूर्नामेंट सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि पेरिस 2024 के बाद आने वाले लॉस एंजिल्स 2028 पैरालंपिक्स के लिए एक टेस्ट बेंच था। भारत के पैरा बैडमिंटन टीम ने दिखाया कि वो अब सिर्फ भाग लेने नहीं, बल्कि जीतने के लिए आते हैं। अब खिलाड़ियों को अपनी तैयारी को और भी व्यवस्थित बनाना होगा — शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से और टैक्टिकल रूप से। भारतीय खेल निकायों को अब इन खिलाड़ियों के लिए बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं, वैज्ञानिक रिकवरी और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का अधिक अवसर देना होगा।
पैरा बैडमिंटन: भारत की नई शक्ति
2020 के बाद से, भारत ने पैरा बैडमिंटन में एक अद्वितीय रास्ता बनाया है। टोक्यो 2020 में कृष्णा नागर की स्वर्ण जीत के बाद, अब प्रमोद भगत ने एक खिलाड़ी के रूप में तीन पदक जीतकर इस खेल को नए ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। यह एक ऐसा खेल है जिसमें देश के अधिकारियों ने कम समय में अधिक निवेश किया है — और अब यह निवेश फल रहा है। अब भारत के युवा खिलाड़ी यह देखकर प्रेरित हो रहे हैं कि अगर एक ओडिशा का लड़का जापान में तीन स्वर्ण जीत सकता है, तो वो क्यों नहीं?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रमोद भगत ने पहले किन टूर्नामेंट्स में पदक जीते हैं?
प्रमोद भगत ने पहले टोक्यो पैरालंपिक्स 2020 में एसएल3 एकल में रजत पदक जीता था। उन्होंने 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में एसएल3 एकल में स्वर्ण और पुरुष युगल में रजत जीता। 2023 में बर्मिंघम विश्व चैंपियनशिप में भी उन्होंने एकल और युगल दोनों में स्वर्ण पदक जीते।
जापान पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल 2025 में भारत ने कुल कितने पदक जीते?
भारत ने इस टूर्नामेंट में कुल 6 स्वर्ण, 4 रजत और 3 कांस्य पदक जीते। यह भारत के पैरा बैडमिंटन के लिए सबसे सफल अंतर्राष्ट्रीय अभियान रहा, जिसमें देश के अलग-अलग वर्गों के खिलाड़ियों ने अपनी शक्ति दिखाई।
कृष्णा नागर और प्रमोद भगत के बीच क्या अंतर है?
कृष्णा नागर एसएच6 वर्ग के खिलाड़ी हैं, जिनकी लंबाई में कमी है, जबकि प्रमोद भगत एसएल3 वर्ग के हैं, जिनका शरीर का एक हिस्सा पूरी तरह से प्रभावित है। दोनों के खेल का तरीका अलग है, लेकिन दोनों ने भारत के लिए इतिहास रचा है।
भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के लिए अगला लक्ष्य क्या है?
अगला लक्ष्य लॉस एंजिल्स 2028 पैरालंपिक्स है। टीम अब अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अधिक भाग लेने की योजना बना रही है, ताकि खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय दबाव और तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके।