पोप फ्रांसिस का निधन: उदार सोच वाले पोप की आखिरी विदाई और अगला अध्याय
पोप फ्रांसिस : नई सोच के अंतिम सफर का गवाह बना वेटिकन
ईस्टर के अगले ही दिन वेटिकन के Casa Santa Marta में एक ऐसी खबर गूंजने लगी, जिसने कैथोलिक दुनिया को झकझोर दिया। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस, जिनकी छवि सादगी और बदलाव की मिसाल रही, अपनी आखिरी सांस ले चुके थे। उनके निधन की पुष्टि वेटिकन के कैमरलेंगो, कार्डिनल केविन फैरेल ने पूरी परंपरा के साथ की। गौर करने वाली बात यह है कि पोप फ्रांसिस के अपने सुधारों के कारण इस बार परंपरागत प्रक्रियाओं में बदलाव भी दिखा। अब उनके निधन की पुष्टि उनके निजी चैपल में हुई, न कि पोप के शयनकक्ष में, जैसा कि सदियों से चला आ रहा था।
पोप फ्रांसिस ऐसे पहले पोप बने, जिन्होंने अपने अंतिम संस्कार में तड़क-भड़क और औपचारिकता की जगह सादगी को चुना। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि अंतिम निवास वेटिकन के बाहर हो, ताकि वे अपनी विनम्रता और जनता से जुड़ाव की भावना कायम रख सकें। कैथोलिक चर्च के इतिहास में यह एक गौर करने वाली बात है। इस निर्णय से उनका यह संदेश साफ झलकता है कि धर्मगुरु का असल उद्देश्य विनम्रता और सेवा ही है।
अपने कार्यकाल में पोप फ्रांसिस कई बार दुनिया भर में चर्च की पारंपरिक सोच से आगे जाते नजर आए। उनके साहसिक फैसलों और सामाजिक मुद्दों पर खुला नजरिया रखने के कारण उन्हें चर्च के सबसे उदार पोपों में गिना जाता है। गरीबी, शरणार्थी संकट, जलवायु परिवर्तन, LGBTQ+ समुदाय जैसे मुद्दों पर उनके खुले रुख ने सिर्फ वेटिकन ही नहीं, बल्कि पूरे समाज में बहस को नए रास्ते दिए। कई बार अपने रूढ़िवादी आलोचकों के निशाने पर भी बने, लेकिन वो अपनी सोच पर कायम रहे।
अगला पोप कौन? चर्च कैसे चुनेगा अपना नया धर्मगुरु
अब जब वेटिकन 'सदे वाकांटे' (sede vacante) की स्थिति में है, यानी पोप का पद खाली हो गया है, चर्च के अंदर नई हलचल शुरू हो चुकी है। अस्थायी तौर पर चर्च का संचालन कैमरलेंगो और वरिष्ठ अधिकारी देखेंगे। नए पोप के चयन की जिम्मेदारी कार्डिनल कॉलेज के पास है। दुनिया के कोने-कोने से करीब 120 कार्डिनल रोम में जुटेंगे। एक बंद दरवाजे के भीतर, जहां बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं होता, पोप चुनाव की वह ऐतिहासिक 'कॉनक्लेव' प्रक्रिया चलेगी जिसमें धुएं के रंग से पोप चुने जाने की सूचना दी जाती है।
नए पोप के लिए सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। इस बार चर्च के केंद्रीय यूरोप की ओर देखता नजर आ रहा है, क्योंकि हंगरी के कार्डिनल पीटर एर्डो का नाम सबसे आगे चल रहा है। वे गंभीर और विद्वान माने जाते हैं। हालांकि अंतिम फैसला कार्डिनल कॉलेज के हाथ में है, और हर बार चुनाव अद्भुत मोड़ ले सकता है।
पोप फ्रांसिस की विदाई सिर्फ एक युग का अंत नहीं बल्कि नए अध्याय की शुरुआत भी है। चर्च अब इसी सवाल से जूझ रहा है: क्या नया पोप उनकी खुली सोच को आगे बढ़ाएगा या किसी अलग राह चुनेगा?
Palak Agarwal
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