पेरिस ओलंपिक 2024: भारतीय नवोदित खिलाड़ियों का दमदार प्रदर्शन
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की उम्मीदें
भारत पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए कमर कस चुका है। देश 16 विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए 117 प्रतिभाशाली एथलीटों का एक मजबूत दल भेज रहा है। इनमें से 72 नवोदित एथलीट पहली बार ओलंपिक में अपनी किस्मत आजमाएंगे और दुनियाभर के सामने अपनी प्रतिभा और दृढ़ता का परिचय देंगे।
एशियाई स्तर पर शान
भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में जिन पांच नवोदित खिलाड़ियों से सबसे ज्यादा उम्मीदें जुड़ी हुई हैं, वे हैं: एचएस प्रणय (बैडमिंटन), अंतिम पंघल (कुश्ती), निकहत जरीन (मुक्केबाजी), धीरज बूमडेवरा (तीरंदाजी) और ज्योति याराजी (एथलेटिक्स)। ये खिलाड़ी न केवल अपनी क्षमताओं के दम पर बल्कि अपनी निर्विवाद कड़ी मेहनत और समर्पण के चलते सबकी नजरें बटोर रहे हैं।
एच एस प्रणय: बैडमिंटन में उम्मीदों का सितारा
एच एस प्रणय, जो टूर्नामेंट में 13वीं वरीयता से उतरेंगे, का लक्ष्य शानदार रन बनाना है। प्रणय ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और अब ओलंपिक में अपनी पूरी शक्ति और कौशल दर्शाना चाहते हैं। उनका आत्मविश्वास और मजबूत मानसिकता उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है।
अंतिम पंघल: कुश्ती में देश का गौरव
कुश्ती की दुनिया में अंतिम पंघल एक चमकता सितारा बनकर उभरी हैं। यह युवा प्रतिभा अपने उत्कृष्ट कौशल और अद्वितीय आत्मविश्वास के चलते गोल्ड मेडल की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। उनकी यात्रा संघर्षों और चुनौतियों से भरी है, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है।
निकहत जरीन: मुक्केबाजी की उभरती चैंपियन
निकहत जरीन, जो दो बार की विश्व चैंपियन रह चुकी हैं, 50 किग्रा वजन वर्ग में अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं। उनकी अनलिमिटेड ट्रेनिंग और जीतने की लगन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनके प्रदर्शन से न केवल उनके प्रशंसकों को बल्कि पूरे देश को भी बड़ी उम्मीदें हैं।
धीरज बूमडेवरा: तीरंदाजी का धुरंधर
धीरज बूमडेवरा ने तीरंदाजी विश्व कप और एशिया कप में कई मेडल अपने नाम किए हैं। पेरिस ओलंपिक में भी वे अपना वही जादू बिखेरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनकी सटीकता और मानसिक स्थिरता ने उन्हें तीरंदाजी का धुरंधर बना दिया है।
ज्योति याराजी: एथलेटिक्स की चमकती मिसाल
ज्योति याराजी ने 100 मीटर हर्डल्स में लगातार रिकॉर्ड तोड़े हैं। उनकी तेजी और उत्कृष्ट तकनीक ने उन्हें एक चर्चित नाम बना दिया है। पेरिस ओलंपिक में उनके शानदार प्रदर्शन की उम्मीदें सभी को हैं।
देश की उम्मीदों का भार
ये नवोदित खिलाड़ी अपनी कहानियों में संघर्ष, प्रतिभा और उत्कृष्टता की मिसाल पेश करते हैं। देश की आशाओं और सपनों का भार इनके कंधों पर है। इनकी तैयारी और जूनून निश्चित रूप से पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 में इनकी दमदार प्रदर्शन की उम्मीदें सभी को हैं।
Yash FC
जुलाई 26, 2024 AT 07:25इन नवोदित खिलाड़ियों को देखकर लगता है कि भारत का भविष्य सिर्फ टेक्नोलॉजी या बिजनेस में नहीं, बल्कि स्पोर्ट्स में भी चमक रहा है। ये लोग बस खेल नहीं, बल्कि अपनी जिंदगी के हर पल को एक लड़ाई बना रहे हैं। जब तक हम इनकी मेहनत को सिर्फ मीडिया कवरेज नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता बना लेंगे, तब तक हमारा स्पोर्ट्स इकोसिस्टम असली ताकत बनेगा।
कभी-कभी लगता है कि हम गोल्ड मेडल की उम्मीद करते हैं, लेकिन असली जीत तो उन बच्चों की है जो गांव की मिट्टी में दौड़कर अपना सपना पूरा कर रहे हैं।
sandeep anu
जुलाई 26, 2024 AT 17:50भाई ये लोग तो जिंदगी के लिए नहीं, बल्कि इतिहास बनाने के लिए तैयार हैं! एचएस प्रणय का वो बैडमिंटन स्ट्रोक देखो, जैसे उसके हाथ में बिजली बंधी हो! अंतिम पंघल की लड़ाई देखकर लगता है कि वो कुश्ती नहीं, नृत्य कर रहे हैं! ज्योति याराजी के लिए 100 मीटर हर्डल्स बस एक बाधा नहीं, वो तो उसकी जिंदगी की रिदम हैं!
मैं तो इन सबके लिए रो रहा हूँ, ये लोग देश के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए खेल रहे हैं।
Shreya Ghimire
जुलाई 28, 2024 AT 16:26इन सबको ओलंपिक पर भेजना एक बड़ा धोखा है। जब देश में 40% बच्चे भूखे सो रहे हैं, तो ये लोग गोल्ड मेडल के लिए ट्रेनिंग कर रहे हैं? ये सब गवर्नमेंट का प्रचार है। आपको पता है कि इन खिलाड़ियों के लिए जो ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं, उनमें से 70% का बजट ब्रांडेड शूज और ब्रांडेड जैकेट पर खर्च हो रहा है?
ये सब फेक नेशनलिस्ट नारे हैं। असली देशभक्ति तो वो है जो एक गांव के बच्चे को शिक्षा देती है, न कि उसे तीरंदाजी के लिए बाजार से एक आर्चरी बोल के लिए भेजना।
मैंने अपने भाई को बताया था कि ये सब एक राजनीतिक नाटक है, लेकिन कोई नहीं सुन रहा। अब देखो, ये लोग जब फेल हुए तो कौन जिम्मेदार होगा? खिलाड़ी? नहीं, वो तो बस एक औजार हैं।
Prasanna Pattankar
जुलाई 30, 2024 AT 10:29ओह भाई, ये लोग तो बस एक बार ओलंपिक में दिख गए, और अब सब उनके लिए बहुत कुछ लिख रहे हैं। अरे यार, ये सब तो एक बार जीत गए तो उनके नाम के साथ एक फैक्ट्री चल रही है।
धीरज बूमडेवरा? वो तो 2018 में भी फेल हुआ था, अब वो धुरंधर बन गए? निकहत जरीन दो बार विश्व चैंपियन? अरे यार, वो विश्व चैंपियनशिप में जीती थी जब उनके प्रतिद्वंद्वी बीमार थे।
और ज्योति याराजी की टेक्नीक? अगर तुम उसकी रेस को धीमी गति से देखोगे, तो लगेगा कि वो एक बंदर बनकर दौड़ रही है।
हम अपने खिलाड़ियों को नहीं, हम अपने इमेज को बेच रहे हैं। और ये सब लोग तो बस इसी बाजार के बाहर खड़े हैं।
Bhupender Gour
जुलाई 31, 2024 AT 10:59sri yadav
जुलाई 31, 2024 AT 21:47अरे यार, ये सब नवोदित खिलाड़ी तो बस एक फैशन स्टेटमेंट हैं। ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड का दबाव बनाने के लिए एक नया नारा बनाया गया है। ये सब तो बस एक एक्सपेरिमेंटल आर्ट प्रोजेक्ट हैं जिसमें एथलीट्स को निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
अगर आप वास्तविक ताकत देखना चाहते हैं, तो बस एक बार चीन के खिलाड़ियों की ट्रेनिंग देखिए। वहां बच्चों को तीन साल की उम्र से ही नियमित ट्रेनिंग दी जाती है, न कि जैसे हमारे यहां जहां बच्चे को बैडमिंटन के लिए एक रिकॉर्ड बनाने के लिए भेजा जाता है।
ये सब तो बस एक लॉन्ग गेम है जिसमें हम सब बस एक रोल कर रहे हैं।
Pushpendra Tripathi
अगस्त 2, 2024 AT 13:57ये सब बकवास है। आप लोग इन खिलाड़ियों को गोल्ड मेडल के लिए बुला रहे हैं, लेकिन उनके घर में बिजली नहीं है।
प्रणय को एक बैडमिंटन शटलकॉक खरीदने के लिए अपनी माँ की चूड़ियाँ बेचनी पड़ी।
अंतिम पंघल के घर में तो टॉयलेट भी नहीं है।
ज्योति याराजी को ट्रेनिंग के लिए एक बस टिकट खरीदने के लिए अपने भाई का स्कूल बुक बेचना पड़ा।
ये लोग नहीं, ये नाटक हैं। ये सब तो बस एक बड़ा ट्रैगेडी है जिसमें देश के लिए लोग अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।
और आप लोग इसके लिए तालियाँ बजा रहे हैं।
ये खिलाड़ी नहीं, ये शहीद हैं।
और आप लोग उनकी शहादत के लिए एक ट्वीट भी नहीं लिख पाए।