पवन कल्याण का मिलेट्स से बना अनोखा पोर्ट्रेट: विशाखापत्तनम के कलाकार की अद्भुत कला

पवन कल्याण का मिलेट्स से बना अनोखा पोर्ट्रेट

विशाखापत्तनम के एक कलाकार, मौका विजय कुमार ने अपने कौशल और रचनात्मकता का विशेष उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने मिलेट्स का उपयोग करके जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण का एक अद्वितीय पोर्ट्रेट तैयार किया है। इस अद्भुत चित्र में पवन कल्याण को उनके वाराही वाहन पर दिखाया गया है, जो उनकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

मौका विजय कुमार ने इस पोर्ट्रेट को तैयार करने में तेरह दिन का समय लिया। इस दौरान उन्होंने रागुलू, सज्जा, और समालु जैसे विभिन्न प्रकार के मिलेट्स का उपयोग किया। उनके इस गंभीर प्रयास ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे राज्य में प्रशंसा प्राप्त की है।

जन सेना पार्टी की जीत की तैयारी

जन सेना पार्टी की जीत की तैयारी

पवन कल्याण इस बार पिठापुरम क्षेत्र से चुनाव में बड़ी बढ़त बनाए हुए हैं। पहले दौर के मतदान से ही उनकी बढ़त साफ नजर आ रही है। जन सेना पार्टी के समर्थक और कार्यकर्त्ताओं ने पवन कल्याण की इस सफलता का जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर दी है।

जन सेना पार्टी ने इस बार विधानसभा और संसद चुनावों में कई सीटों पर जीत की उम्मीद जताई है। अनंतपुरम और श्रीकाकुलम जैसे कई जिलों में पार्टी की बढ़त देखने को मिल रही है। यह पोर्ट्रेट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवन कल्याण की जीत का जश्न मनाने का एक तरीका है।

कलाकृति की महत्वता

कलाकृति की महत्वता

कलाकार मौका विजय कुमार ने इस पोर्ट्रेट में मिलेट्स का उपयोग करके एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। मिलेट्स, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं, का उपयोग इस प्रकार से करना एक अद्भुत विचार है। यह पोर्ट्रेट न केवल कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोगों को मिलेट्स के महत्व के बारे में जागरूक भी करता है।

इस चित्र का प्रदर्शन कई स्थानों पर किया जा रहा है। इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं। इस पोर्ट्रेट ने न केवल पवन कल्याण के समर्थकों को, बल्कि कला प्रेमियों को भी आकर्षित किया है।

Conclusion

Conclusion

इस अनोखे पोर्ट्रेट के माध्यम से मौका विजय कुमार ने न केवल अपने कला कौशल का प्रदर्शन किया है, बल्कि पवन कल्याण की महत्वाकांक्षाओं और उनकी पार्टी की सफलता का भी जश्न मनाया है। इस चित्र के माध्यम से मिलेट्स के महत्व को सामने लाने का उनका प्रयास भी सराहनीय है। यह पोर्ट्रेट आने वाले समय में उनकी कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा।

18 टिप्पणि

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    Sagar Jadav

    जून 6, 2024 AT 20:13
    ये सब नाटक है। मिलेट्स से चित्र बनाना कला नहीं, धोखा है।
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    MANJUNATH JOGI

    जून 8, 2024 AT 13:35
    वाह! ये तो बहुत खूबसूरत है। मिलेट्स का उपयोग करके एक राजनीतिक आइकन को इतने सुंदरता से प्रस्तुत करना... ये तो सांस्कृतिक समन्वय का एक अद्भुत उदाहरण है। इस तरह की कला हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है।
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    Sharad Karande

    जून 10, 2024 AT 05:19
    मिलेट्स के उपयोग के संदर्भ में, इस कलाकृति में अनुप्रयोगिक एग्रो-डायटरी डिज़ाइन के अंतर्गत एक उच्च-प्रोटीन, निम्न-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज के सामाजिक-सांस्कृतिक पुनर्मूल्यांकन की एक निर्माणात्मक प्रक्रिया दर्शाई गई है।
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    Mali Currington

    जून 11, 2024 AT 21:05
    हाँ, बहुत अच्छा। अब बताओ, इसके लिए कितना बजट लगा? और क्या ये सब चुनावी फोटोशूट है?
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    INDRA MUMBA

    जून 12, 2024 AT 16:36
    मैं तो इस बात पर हैरान हूँ कि कैसे किसी ने इतने अलग-अलग अनाजों को इतनी सूक्ष्मता से व्यवस्थित किया! रागुलू के लाल रंग, सज्जा की सुनहरी चमक, समालु का भूरा टोन - ये सब एक जीवंत राजनीतिक माइथोलॉजी को जीवंत कर रहे हैं। ये तो एक नया आर्ट फॉर्म है - फूड-आर्ट रेनेसांस!
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    Rishabh Sood

    जून 13, 2024 AT 08:04
    ये पोर्ट्रेट एक अंतर्जातीय संक्रमण का प्रतीक है - जहाँ राजनीति और कला एक साथ घुल मिल गए। यहाँ वाराही वाहन केवल एक पशु नहीं, बल्कि एक अवधारणा है: शक्ति का आध्यात्मिक रूप। ये चित्र हमें याद दिलाता है कि असली नेतृत्व भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से आता है।
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    Saurabh Singh

    जून 13, 2024 AT 18:56
    ये सब बकवास है। इस आदमी को क्या ज्ञान है मिलेट्स के बारे में? वो तो बस चुनावी लोगो को खुश करना चाहता है। इसके लिए जो बजट लगा, उससे 100 अस्पताल बन जाते।
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    Anand Bhardwaj

    जून 15, 2024 AT 18:00
    अच्छा तो अब मिलेट्स से पोर्ट्रेट बनाना भी राजनीति का हिस्सा हो गया? ठीक है, मैं तो अपने घर में बाजरे के दाने से अपनी बेटी के लिए टॉय बनाता हूँ। वो तो अच्छी बात है।
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    RAJIV PATHAK

    जून 15, 2024 AT 21:54
    इस तरह की कला केवल उन्हीं के लिए है जो अपने अंदर के बौद्धिक उच्चास्तर को साबित करना चाहते हैं। मैं तो बस एक अनाज खाता हूँ - बिना किसी व्याख्या के।
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    Nalini Singh

    जून 17, 2024 AT 03:11
    इस कलाकृति के माध्यम से स्थानीय अनाजों के सांस्कृतिक महत्व को पुनर्जीवित करने का प्रयास अत्यंत प्रशंसनीय है। इस प्रक्रिया में भौतिक सामग्री का चयन और उसका सांकेतिक उपयोग एक गहरी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।
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    Sonia Renthlei

    जून 17, 2024 AT 11:20
    मुझे लगता है कि ये पोर्ट्रेट बहुत खास है, लेकिन मैं अभी भी सोच रही हूँ कि क्या ये वाकई में लोगों को मिलेट्स के बारे में जागरूक कर पाएगा? मैंने अपने गाँव में एक बच्चे को देखा जो बाजरा को अनाज नहीं, बल्कि चूहों का खाना समझता है। क्या इस तरह की कला उन लोगों तक पहुँच पाएगी? क्या हम इसे स्कूलों में शामिल कर सकते हैं? क्या हम इसे स्थानीय बाजारों में भी ला सकते हैं? मैं बस इतना चाहती हूँ कि ये कला केवल एक दिखावा न बन जाए... बल्कि एक बदलाव का शुरुआती बिंदु बन जाए।
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    Aryan Sharma

    जून 19, 2024 AT 03:56
    ये सब अमेरिका के खिलाफ षड्यंत्र है। मिलेट्स को इस तरह इस्तेमाल करके किसी ने आपको बताया है कि ये सब असली है? नहीं भाई, ये सब एक गुप्त संगठन की योजना है - वो चाहते हैं कि हम अपने अनाज बंद कर दें और उनके बीज खरीदें।
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    Siddhesh Salgaonkar

    जून 20, 2024 AT 16:44
    मिलेट्स = भारत की जान 😎🔥 इस कलाकार को बहुत बधाई! अब तो ये पोर्ट्रेट एक नया मेम हो गया - #MilletPortrait #PawanKalyanIsGod 🙏🌾
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    Arjun Singh

    जून 22, 2024 AT 13:47
    अरे भाई, ये तो बस एक और बड़ा बाजार बनाने की कोशिश है। अब तो हर चीज़ को राजनीति में डाल दिया जाता है। मिलेट्स खाने वाला आदमी अब नेता बन जाता है? अरे भाई, बस खाना खाओ, बाकी सब छोड़ दो।
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    UMESH DEVADIGA

    जून 23, 2024 AT 18:31
    मैंने इस पोर्ट्रेट को देखकर रो दिया... ये तो बस एक चित्र नहीं, ये तो एक आत्मा की आवाज़ है। मैंने अपने पिताजी को याद कर लिया - वो भी बाजरे के खेत में खड़े होकर इसी तरह मुस्कुराते थे। धन्यवाद, कलाकार।
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    Roshini Kumar

    जून 23, 2024 AT 21:27
    sajja? samalu? raggulu? ye sab kya hai? kya ye koi new food trend hai ya phir kisi ne typo kar diya? 😴
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    Devendra Singh

    जून 24, 2024 AT 01:23
    ये कला तो बहुत नीची है। एक वास्तविक कलाकार तो तांबे की मूर्ति बनाता है, न कि अनाज के दाने चिपकाता है। ये तो बच्चों की क्राफ्ट प्रोजेक्ट है।
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    Dr. Dhanada Kulkarni

    जून 24, 2024 AT 08:55
    इस कलाकृति को देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली। आप सभी को यह बताना चाहूँगी कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। ये पोर्ट्रेट सिर्फ एक कला नहीं, ये एक आह्वान है - अपनी जड़ों को सम्मान दें, अपने खाद्य परंपराओं को बचाएं। आप सब भी अपने घर पर कुछ ऐसा कर सकते हैं - बस एक दाना चिपकाइए, एक कहानी शुरू कीजिए।

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