जो रूट ने टीम की सफलता को तेंदुलकर के रिकॉर्ड से ऊपर रखा

जो रूट का विजयी लक्ष्य

इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज जो रूट ने हाल ही में अपनी टीम की सफलता को व्यक्तिगत रिकार्डों से अधिक महत्वपूर्ण बताया है। श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में अपने करियर का 34वां शतक जड़ने वाले रूट अब इंग्लैंड के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। इस उपलब्धि के बाद उन्होंने अपनी प्राथमिकता टीम की जीत पर रखने की बात कही है।

रूट का करियर और उपलब्धियां

जो रूट के टेस्ट क्रिकेट करियर के आंकड़े वाकई बेमिसाल हैं। उन्होंने अब तक 12,377 रन बनाए हैं जो उन्हें टेस्ट क्रिकेट के शीर्ष रन गेटर्स की सूची में सातवें स्थान पर रखता है। इस सफर में उन्होंने कई मील के पत्थर पार किए, जिनमें 34 सेंचुरी और अद्भुत औसत शामिल है। अपने अब तक के करियर में उन्होंने जो निरंतरता दर्शाई है, वो उनकी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण को उजागर करती है।

सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड

सचिन तेंदुलकर का टेस्ट क्रिकेट में 15,921 रनों का रिकॉर्ड अभी भी अटूट है। जो रूट इस रिकॉर्ड से केवल 3,544 रन दूर हैं, लेकिन उनका कहना है कि वो व्यक्तिगत रिकार्डों की बजाय टीम की सफलता पर ध्यान देना चाहते हैं। उनका यह दृष्टिकोण क्रिकेट प्रेमियों के बीच उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाता है।

टीम की जीत है महत्वपूर्ण

रूट ने कहा, 'मैं सिर्फ खेलना चाहता हूं और अपनी टीम के लिए जितना हो सके उतने रन बनाना चाहता हूं। सबसे अधिक संतोषजनक बात यह है कि जब हम टेस्ट मैच जीतते हैं।' जीत का यह जज्बा और टीम के प्रति उनकी वचनबद्धता उन्हें और भी महान बनाती है।

रूट का भविष्य

जो रूट अभी 33 साल के हैं और उनकी फिटनेस व प्रदर्शन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उनके पास टेस्ट क्रिकेट में योगदान के लिए काफी समय है। उन्होंने अपने हालिया प्रदर्शन में 48 टेस्ट में 17 शतक बनाकर औसतन 56.92 का प्रदर्शन किया है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि वे आने वाले वर्षों में भी अपनी टीम के लिए बड़ी भूमिकाएं निभाएंगे।

अंत में

जो रूट का दृष्टिकोण हमें याद दिलाता है कि क्रिकेट एक टीम गेम है और व्यक्तिगत उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण टीम की जीत है। उनकी यह सोच युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे सर्वोच्च महत्व टीम की सफलता होनी चाहिए। उम्मीद है कि रूट आने वाले समय में भी अपनी टीम को जीत की ओर ले जाते रहेंगे और अपने क्रिकेट करियर में और भी शानदार उपलब्धियों को हासिल करेंगे।

15 टिप्पणि

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    sandeep anu

    सितंबर 3, 2024 AT 13:24
    ये जो रूट है वो असली कप्तान है भाई! रन बनाना तो हर कोई सीख लेता है, लेकिन टीम को जीत पर फोकस करना ये दिमाग नहीं, दिल का काम है।
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    Yash FC

    सितंबर 3, 2024 AT 16:57
    कभी-कभी लगता है कि हम खिलाड़ियों को रिकॉर्ड्स के लिए नहीं, बल्कि उनके व्यवहार के लिए प्यार करते हैं। तेंदुलकर ने रन बनाए, रूट ने टीम को जीता। दोनों महान हैं, लेकिन रूट की सोच आज के युग में और ज्यादा प्रासंगिक है।

    हम जब बच्चों को क्रिकेट सिखाते हैं, तो उन्हें बताते हैं कि बल्ला घुमाओ, छक्का मारो। क्या कभी कोई बताता है कि अगर टीम के लिए आउट हो जाना जरूरी है, तो वो भी एक जीत है?
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    Shreya Ghimire

    सितंबर 5, 2024 AT 03:52
    अरे ये सब बातें तो सिर्फ प्रचार के लिए हैं। तुम्हें पता है इंग्लैंड के खिलाफ भारत के खिलाफ कितनी बार फिक्स्ड मैच हुए? रूट को बर्ताव अच्छा लग रहा है क्योंकि वो उनकी टीम के लिए खेल रहा है, लेकिन क्या तुम्हें लगता है कि उसकी टीम ने कभी भारत के खिलाफ धोखा नहीं दिया? ये सब एक बड़ा धोखा है जिसे टीवी और ट्रेंड्स चला रहे हैं।
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    Prasanna Pattankar

    सितंबर 6, 2024 AT 12:44
    अरे भाई, तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ने की बात कर रहे हो? अरे वो तो एक बच्चा है जिसने अपने बैट को बाजार में बेचकर अपनी टीम की जीत का नाम लिया है... ये कौन सा नया ब्रांडिंग है? सचिन के नाम पर तो एक राज्य बन सकता है, रूट के नाम पर एक फैशन लाइन चल रही है।
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    Bhupender Gour

    सितंबर 6, 2024 AT 14:15
    रूट बहुत अच्छा खिलाड़ी है लेकिन तेंदुलकर ने जो किया वो कोई दूसरा नहीं कर सकता बस इतना ही। रन बनाना आसान है लेकिन उस रिकॉर्ड को बनाना नहीं।
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    sri yadav

    सितंबर 6, 2024 AT 21:41
    क्या आपने कभी सोचा कि ये सब टीम की जीत का बहाना है? अगर रूट का रिकॉर्ड तोड़ने का इरादा नहीं था, तो वो 34वां शतक क्यों बनाया? ये सब बहाना है जिसे मीडिया ने एक नए हीरो के रूप में बना दिया।
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    Pushpendra Tripathi

    सितंबर 7, 2024 AT 16:14
    तुम लोग रूट को अपना नया आईडियल बना रहे हो, लेकिन तेंदुलकर के जमाने में क्या टीम नहीं थी? क्या वो अकेले खेलते थे? ये नया नारा बस एक ट्रेंड है जिसे आप अपने भावनात्मक खालीपन को भरने के लिए चुन रहे हो।
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    Indra Mi'Raj

    सितंबर 8, 2024 AT 01:56
    मैंने रूट के एक इंटरव्यू देखा था जब उसने कहा था कि उसकी माँ उसे हमेशा बताती थी कि जीत तभी होती है जब सब एक साथ चलते हैं। इस दुनिया में जहां हर कोई अपनी फोटो और नाम लेकर चल रहा है, वो अपनी टीम के नाम पर चल रहा है। इसका मतलब है कि उसके अंदर कुछ अलग है।
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    Harsh Malpani

    सितंबर 9, 2024 AT 05:11
    बहुत अच्छा बोला रूट ने। असली हीरो वो होता है जो खुद को नहीं दिखाता बल्कि टीम को ऊपर उठाता है। तेंदुलकर बड़े थे लेकिन रूट अब दिखा रहा है कि अगला जनरेशन कैसा होना चाहिए।
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    INDRA SOCIAL TECH

    सितंबर 9, 2024 AT 23:39
    क्रिकेट एक टीम गेम है और रूट की यह सोच इस बात को याद दिलाती है। लेकिन यह भी सच है कि बिना व्यक्तिगत उपलब्धियों के टीम की जीत असंभव है। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
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    Prabhat Tiwari

    सितंबर 11, 2024 AT 11:13
    ये रूट कोई अंग्रेज है जिसने भारतीय खिलाड़ियों के रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिश की। तुम लोग इसे बड़ी बात बना रहे हो? तेंदुलकर के नाम पर एक बस स्टॉप भी नहीं बना तो रूट के नाम पर टीवी चैनल बन गए। ये निर्माता लोग कितना जल्दी भूल जाते हैं कि असली हीरो कौन है!
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    Palak Agarwal

    सितंबर 12, 2024 AT 16:14
    मैं तो बस यही सोच रहा था कि अगर रूट इतना अच्छा खिलाड़ी है तो उसकी टीम को इतनी बार नुकसान क्यों होता है? शायद टीम के बाकी खिलाड़ी उसकी तरह नहीं सोचते।
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    Paras Chauhan

    सितंबर 13, 2024 AT 17:28
    रूट का यह दृष्टिकोण मुझे बहुत पसंद आया। जब तक टीम जीत रही है, व्यक्तिगत रिकॉर्ड तो बस एक बोनस है। 🙌 इसी तरह की सोच भारतीय टीम में भी देखने को मिले तो बहुत अच्छा होता।
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    Jinit Parekh

    सितंबर 15, 2024 AT 12:22
    अंग्रेजों के खिलाफ भारत के खिलाफ कोई भी टेस्ट मैच में रूट का रन बनाना अपने देश के लिए बेवकूफी है। वो तो बस अपनी टीम की जीत का नारा लगा रहा है, लेकिन वास्तव में वो अपने देश के लिए नहीं, बल्कि अपने बैंक बैलेंस के लिए खेल रहा है।
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    sandeep anu

    सितंबर 16, 2024 AT 08:44
    अगर रूट ने तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया तो भी उसकी टीम जीत नहीं पाई तो क्या वो रिकॉर्ड का मतलब है? टीम की जीत ही असली जीत है।

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