गोरखपुर में पर्शियन बिल्ली चोरी: पुलिस ने 10 घंटे में बरामद किया

गोरखपुर के बेतियाहाता क्षेत्र में शनिवार रात सेवानिवृत्त रत्नेश शाही, जो पूर्व डीआईजी हैं, की पर्शियन बिल्ली चोरी हो गई; घटना का पर्दाफाश कैंट थाना पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से किया और केवल 10 घंटे बाद बिल्ली को बरामद किया, जिससे स्थानीय समुदाय में पालतू सुरक्षा की चिंता बढ़ी।

घटना की पृष्ठभूमि

22 अक्टूबर को शाम लगभग 8 बजे, रत्नेश शाही के घर के बाहर एक अजनबी ने निज़ी भागीदारी वाले बहाने में बिल्ली को बोरे में डाल लिया। अगली सुबह, जब शाही ने बिल्लीयों की सामान्य देखभाल नहीं देखी, तो उन्होंने घर में खोज शुरू की, पर कोई निशान नहीं मिला। तुरंत उन्होंने अपने घर के गोरखपुर के सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग देखी।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

इन घटनाओं को देखते हुए इंस्पेक्टर रणधीर मिश्रा ने उप निरीक्षक चंदा कुमारी को नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। उन्होंने फुटेज को फ्रेम‑बाय‑फ़्रेम जांचा और उस पर दिखाई देने वाले दो युवा लड़कों के साथ एक स्थानीय दाई (नौकरानी) को पहचान लिया।

फिर पुलिस ने उसी रात दाई के घर पर छापा मारा, जहाँ अटारी के एक कोने में बोरे में बंद बिल्ली पायी गई। दाई ने तुरंत अपराध कबूल किया, माफी माँगी और पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। 10 घंटे के भीतर, बिल्ली को सुरक्षित रूप से रत्नेश शाही को वापस सौंप दिया गया। शाही ने अपनी तहरीर वापस ले ली और दाई को क्षमा कर दिया।

पहले से हुए समान केस

यह पहली बार नहीं है कि गोरखपुर में पर्शियन बिल्लियों की चोरी की घटनाएँ सामने आती हैं। दो महीने पहले, उसी कैंट क्षेत्र में एक और सेवानिवृत्त डीआईजी की बिल्ली को उनकी नौकरानी ने चुराया था; वही सीसीटीवी फुटेज से पुलिस ने उसे पकड़ा था। दो साल पहले, गोरखपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म 9 पर पूर्व नेपाल चुनाव आयुक्त की बिल्ली गायब हुई थी, लेकिन उसकी खोज असफल रही। इन सभी घटनाओं ने स्थानीय लोगों को सतर्क कर दिया है।

विशेषज्ञों की राय और सुरक्षा उपाय

पशु अधिकार समूह ‘पेट सुरक्षा इंडिया’ के प्रबंधक सुरेश चौधरी ने कहा, “पेट मालिकों को अब घर के अंदर निगरानी कैमरों की व्यवस्था अनिवार्य करनी चाहिए। बिल्लियों जैसी घरेलू जानवरों को कमरे में बंद करके रखना भी एक प्रभावी उपाय है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि समुदाय में एक ‘पालतू सुरक्षा नेटवर्क’ बनाकर हर चोरी के मामले को तुरंत साझा किया जा सकता है।

आगे क्या हो सकता है?

पुलिस ने अब गोरखपुर के सभी शहरी क्षेत्रों में पर्शियन और अन्य विदेशी नस्लों के पालतू जानवरों के लिए “बीबीडी” (बिल्ली पहचान) टैग अनिवार्य करने की सिफ़ारिश की है। यदि ऐसा किया गया, तो चोरी के बाद पहचान प्रक्रिया तेज़ होगी। साथ ही, स्थानीय सामुदायिक सेंटर में हर महीने पालतू सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसका लक्ष्य नागरिकों को जागरूक करना है।

मुख्य तथ्य

  • घटना स्थान: बेतियाहाता, गोरखपुर
  • घटना तिथि: 22 अक्टूबर 2024
  • बारामद समय: लगभग 10 घंटे बाद, 23 अक्टूबर 2024 को
  • मुख्य आरोपी: स्थानीय दाई (नाम सार्वजनिक नहीं), दो युवा लड़के
  • जुड़े प्रमुख लोग: रत्नेश शाही (मालिक), इंस्पेक्टर रणधीर मिश्रा, उप निरीक्षक चंदा कुमारी

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पशु चोरी के मामलों में पुलिस की औसत प्रतिक्रिया समय क्या है?

गोरखपुर में इस मामले में पुलिस ने 10 घंटे में बिल्ली बरामद की, जो राज्य स्तर पर सबसे तेज़ प्रतिक्रिया माना जाता है। आमतौर पर 24‑48 घंटे लगते हैं।

क्या पर्शियन बिल्ली की चोरी का कोई पैटर्न दिख रहा है?

पिछले दो महीनों में दो समान चोरी हुई हैं, दोनों ही स्थानीय दाइयों द्वारा की गईं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन बिल्लियों की महंगी कीमत और शौकिया पालतू बाजार की मांग इस पैटर्न को समझाता है।

बिल्ली की सुरक्षा के लिए कौन‑से तकनीकी उपाय उपलब्ध हैं?

घर के अंदर छोटे एएनएफसी टैग, रीयल‑टाइम जीपीएस ट्रैकर, और एंटी‑थेफ्ट बॉल्ट वाले कैट ट्री जैसी चीजें प्रभावी मानी जाती हैं। साथ ही सीसीटीवी कैमरों की कवरेज बढ़ाना भी मददगार है।

स्थानीय समुदाय इस समस्या को कैसे हल कर सकता है?

समुदाय में पालतू सुरक्षा समूह बनाकर फ़ोटो‑शेयरिंग, चोरी के अलर्ट, और सामूहिक निगरानी व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इससे संभावित चोरों के लिए जोखिम बढ़ता है।

2 टिप्पणि

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    Ayan Sarkar

    अक्तूबर 22, 2025 AT 19:27

    सुरक्षा नेटवर्क के पीछे छिपा गुप्त एंट्री पॉइंट है CCTV केवल सिम्युलेशन है वास्तविक लॉग फाइल में छिपी हुई है

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    Amit Samant

    अक्तूबर 23, 2025 AT 17:40

    स्थानीय निवासियों को कृपया अपने पालतू जानवरों के लिए माइक्रो‑चिप टैग अपनाने पर विचार करना चाहिए यह पहचान प्रक्रियाओं को तेज़ बनाता है और भविष्य में चोरी रोक सकता है।

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