डेविड वॉर्नर ने सरफ़राज़ खान की पहली टेस्ट सेंचुरी पर क्या कहा? जानें उनकी मेहनत के पीछे की कहानी
सरफ़राज़ खान की पहली टेस्ट सेंचुरी पर डेविड वॉर्नर की प्रतिक्रिया
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर ने भारतीय क्रिकेटर सरफ़राज़ खान की स्थानीय क्रिकेट में बिताई उनकी मेहनत और प्रयास की सराहना की है। वॉर्नर ने सोशल मीडिया पर अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सरफ़राज़ ने बहुत मेहनत की है। भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच चल रहे पहले टेस्ट मैच के चौथे दिन सरफ़राज़ ने अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी लगाई जिसे क्रिकेट जगत ने खुले दिल से स्वीकार किया।
यह ऐतिहासिक पारी बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेली गई जिसे दर्शकों ने हाथों हाथ लिया। सरफ़राज़ ने 154 गेंदों में 100 रन बनाकर भारत को पहले इनिंग्स की भारी घाटे से उबारा। इस पारी में 16 चौके और तीन छक्के शामिल थे। इससे पहले उन्होंने 3 टेस्ट मैचों में उम्दा बात करते हुए अर्धशतक लगाए थे। लेकिन इस सेंचुरी ने उनके क्रिकेट करियर को एक नई दिशा दी है।
विराट कोहली और ऋषभ पंत के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी
सरफ़राज़ की इस उपलब्धि के पीछे उनकी धमाकेदार बल्लेबाज़ी के साथ ही उनके साथी खिलाड़ियों के साथ उनकी बढ़िया साझेदारियाँ भी हैं। विराट कोहली के साथ 136 रन की साझेदारी ने भारत को पहला पायदान हासिल करने में मदद की। वहीं लंच तक उन्होंने ऋषभ पंत के साथ नाबाद 113 रन की साझेदारी कर भारत को मज़बूत स्थिति में ला खड़ा किया। इन साझेदारियों के चलते भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड को 150 से ज़्यादा रनों का लक्ष्य देने की स्थिति में आ रही थी।
सरफ़राज़ की इस पारी ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी। क्रिकेट विशेषज्ञों, पूर्व क्रिकेटरों और उनके प्रशंसकों ने उनके समर्पण और मेहनत को जोर-शोर से सराहा। यह पहले समर्पण और धैर्य का परिणाम है जो उन्होंने घरेलू क्रिकेट में दिखाया।
सरफ़राज़ खान की मेहनत की कहानी
सरफ़राज़ खान का क्रिकेट सफर भारतीय क्रिकेट के समर्पण और प्रतिबद्धता की मिसाल बन चुका है। कई सालों की मेहनत और घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शनों के बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका मिला। इससे यह साबित होता है कि कैसे मुश्किल दौर के बाद भी परिश्रम और समर्पण से सफलता हासिल की जा सकती है। सरफ़राज़ का यह जर्नी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि कैसे लगातार प्रयासों से ऊँचाईयां हासिल की जा सकती हैं।
इस टेस्ट सेंचुरी के बाद सरफ़राज़ ने सभी को दिखा दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। क्रिकेट जगत को उनसे और शानदार प्रदर्शनों की उम्मीद है। उनके इस योगदान से भारत के जीतने की संभावना और बढ़ गई है। सरफ़राज़ की यह पारी आने वाले मैचों और श्रृंखलाओं में उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर देगी। इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि उनका यह सफर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।
sandeep anu
अक्तूबर 20, 2024 AT 23:44भाई ये वाला सरफ़राज़ तो असली लड़का है! घरेलू क्रिकेट में दस साल लगातार बल्ला घुमाया, कोई नहीं देख रहा था, फिर भी नहीं छोड़ा। आज वो बेंगलुरु में खड़ा हुआ, 100 बनाया, और पूरा देश उसके लिए खड़ा हो गया। ये वो है जो आपको बताता है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। जय हिन्द, जय सरफ़राज़!
Shreya Ghimire
अक्तूबर 21, 2024 AT 10:43ये सब बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सारी खुशी किसके लिए बनाई गई है? टीवी चैनल, स्पॉन्सर्स, और फेडरेशन के लिए! एक खिलाड़ी को 10 साल तक भूल दिया जाता है, फिर एक शतक बनाते ही उसे देश का नायक बना दिया जाता है। ये सिर्फ़ एक नाटक है। अगर वो अगले मैच में आउट हो गया तो क्या फिर से उसकी बात छूट जाएगी? ये खेल तो बस एक धोखा है।
Prasanna Pattankar
अक्तूबर 22, 2024 AT 07:11ओह भाई, एक शतक बना दिया तो फिर से सब ने उसे ईश्वर बना दिया? ये लोग भूल गए कि वो 3 टेस्ट में अर्धशतक लगाकर भी बरकरार नहीं रहा। और अब विराट और पंत के साथ जो साझेदारी हुई - वो किसी के लिए अनोखी नहीं, बस एक बेहतरीन बल्लेबाज़ी का नतीजा है। लेकिन आजकल तो हर चीज़ को ‘इंस्पिरेशनल जर्नी’ बना दिया जाता है। जब तक तुम जीत नहीं रहे, तब तक तुम अनदेखा होते हो। अब जीत गए, तो तुम अब ‘महान’ हो गए। ये देश का बुरा आदत है।
Bhupender Gour
अक्तूबर 23, 2024 AT 00:22sri yadav
अक्तूबर 24, 2024 AT 16:54मुझे लगता है कि ये सब जल्दबाज़ी में बनाई गई नाटकीय भावना है। एक शतक बनाना बहुत बड़ी बात नहीं है - ये तो हर साल दर्जनों खिलाड़ी करते हैं। लेकिन आजकल के ट्रेंड्स में, जब कोई लंबे समय तक अनदेखा रहता है, तो उसके एक अच्छे प्रदर्शन को ‘एपिक जर्नी’ बना दिया जाता है। ये तो बस एक और ब्रांडिंग गेम है। अगर ये खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया से होता, तो क्या इतनी गूंज होती? नहीं। ये सिर्फ़ भारतीय नैरेटिव है।
Pushpendra Tripathi
अक्तूबर 26, 2024 AT 05:03ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन क्या किसी ने सोचा है कि इस शतक के बाद भी उसके बल्लेबाज़ी का औसत क्या है? 27.5? ये नहीं है जो एक टॉप-ऑर्डर बल्लेबाज़ के लिए उचित है। और विराट के साथ जो साझेदारी हुई - वो तो उनकी ताकत का नतीजा था, न कि सरफ़राज़ की। इस तरह के बल्लेबाज़ को अगले मैच में भी अवसर देना चाहिए, लेकिन उसकी प्रदर्शन श्रृंखला को देखा जाना चाहिए, न कि एक शतक के आधार पर उसे एक आइकॉन बना दिया जाए। ये अनुचित है।