भाजपा और कांग्रेस के बीच में बढ़ती खटास: जॉर्ज सोरोस कौन हैं?

भाजपा और कांग्रेस के बढ़ते आरोप: जॉर्ज सोरोस कौन हैं?

भारतीय राजनीति में आजकल आरोप-प्रत्यारोप का माहौल गरमा गया है। भाजपा ने अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगाया है कि वह हिन्डेन्बर्ग रिसर्च के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिरता को संकट में डाल रहे हैं। इसी कड़ी में भाजपा सांसद रवि शंकर प्रसाद का बयान आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि सोरोस, हिन्डेन्बर्ग रिसर्च के जरिए भारत के शेयर बाजार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं और इसका सीधा असर भारतीय छोटे निवेशकों पर पड़ेगा।

जॉर्ज सोरोस एक विश्व-विख्यात निवेशक और व्यवसायी हैं। वह स्वाभाविक रूप से अपने निवेश उपक्रमों और राजनीति में अपनी सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। सोरोस ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की है, जो न्याय, लोकतंत्र और मानव अधिकारों के समर्थन में काम करती है। भाजपा का दावा है कि सोरोस भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल देने का प्रयास कर रहे हैं।

हिन्डेन्बर्ग रिसर्च: क्या है मामला?

हिन्डेन्बर्ग रिसर्च एक शॉर्ट-सेलिंग फर्म है, जो विभिन्न व्यवसायों और सरकारों की समालोचना करती है। हाल ही में इस फर्म ने भारतीय कारोबार और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। हिन्डेन्बर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच एवं उनके पति पर अदानी समूह से जुड़े विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखने का आरोप लगाया गया। SEBI की अध्यक्ष ने इन आरोपों को 'द्वेषपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण' करार दिया है।

इस पूरे प्रकरण का भाजपा द्वारा विरोध किया गया है, और पार्टी ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के प्रयास के रूप में देखा है। भाजपा का तर्क है कि कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध की वजह से भारत से ही घृणा करने लगी है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस 'टूलकिट राजनीति' का सहारा ले रही है ताकि भारत में आर्थिक निवेश को अवरुद्ध किया जा सके।

स्मृति ईरानी और राहुल गांधी का विवाद

यह पहली बार नहीं है जब जॉर्ज सोरोस का नाम कांग्रेस के साथ जोड़ा गया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान सोरोस के सहायकों से मुलाकात की थी। इस मामले ने भी राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मचाई थी और भाजपा ने इसे कांग्रेस की देश विरोधी कार्रवाई का एक उदाहरण बताया था।

यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में जॉर्ज सोरोस का नाम अक्सर विवादों में फंसता रहा है। उनके ऊपर भारत में आर्थिक अस्थिरता फैलाने के आरोप लगाए जाते रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ उनके समर्थक उनके परोपकारी कार्यों की प्रशंसा करते हैं। इस विवादित चरित्र की वजह से सोरोस हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं।

भाजपा की तरफ से लगाए गए हालिया आरोप स्पष्ट रूप से केवल सोरोस पर ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधते हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी देश में आर्थिक प्रगति को बाधित करने के लिए विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर साजिश रच रही है। यह एक गंभीर आरोप है और इसके पीछे की सच्चाई क्या है, यह तो समय ही बताएगा।

क्या कहता है भाजपा का बयान?

भाजपा सांसद रवि शंकर प्रसाद की मानें तो सोरोस के के खिलाफ ये आरोप इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि वह न सिर्फ भारतद्धएमें, बल्कि पूरी विश्व राजनीति में एक विवादित शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। प्रसाद ने कहा कि सोरोस द्वारा हिन्डेन्बर्ग रिसर्च के माध्यम से किए गए इन दावों का उद्देश्य केवल और केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी खुद को प्रधानमंत्री मोदी के प्रति विरोध की भावना से ऊपर नहीं उठा पा रही है और उनके विरोध में वह भारत की संप्रभुता को ही खतरे में डालने पर तुली है।

भाजपा का यह भी कहना है कि कांग्रेस पार्टी विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर 'टूलकिट राजनीति' का सहारा ले रही है। भाजपा के अनुसार, कांग्रेस का यह प्रयास भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने एवं निवेशकों का विश्वास खोने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

जॉर्ज सोरोस के पक्ष और विपक्ष में विचार

जॉर्ज सोरोस की विश्वभर में एक विवादित छवि है। उनके समर्थक उन्हें लोकतंत्र और मानवाधिकारों का पालन करने वाला बताते हैं, जबकि उनके विरोधी कहते हैं कि वह राजनीति में हस्तक्षेप करने और अपने निवेश के माध्यम से आर्थिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करते हैं। सोरोस द्वारा स्थापित ओपन सोसाइटी फाउंडेशन मानव अधिकारों, न्याय और लोकतंत्र के लिए कार्य करता है, जिससे उन्हें कई देशों में समर्थन प्राप्त हुआ है।

विरोधियों का तर्क है कि सोरोस अपने निवेश और फंडिंग के माध्यम से सरकारों और राजनीतिक पार्टियों पर प्रभाव डालने की कोशिश करते हैं। खासकर एशिया और यूरोप के कई देशों में सोरोस की भूमिका को लेकर प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं। उन्हें कई बार इस बात के लिए भी समालोचना का सामना करना पड़ा है कि वह विदेशी सरकारों के प्रति आलोचनात्मक हैं और उनकी नीतियों का विरोध करते हैं।

इस प्रकार, जॉर्ज सोरोस एक ऐसी शख्सियत बन चुके हैं जो विवादों के केंद्र में हमेशा रहते हैं। भाजपा द्वारा लगाए गए ये ताजा आरोप उनके खिलाफ चल रहे घटनाक्रमों की एक कड़ी मात्र हैं। भाजपा दावा कर रही है कि उनकी पार्टी भारतीय आर्थिक विकास और संप्रभुता की रक्षा के लिए यह आवाज उठा रही है, जबकि कांग्रेस इन्हें निराधार और राजनीतिक षड़यंत्र करार दे रही है।

अंत में, इस विवाद का निष्कर्ष क्या होगा? क्या भाजपा के ये आरोप साबित होंगे? क्या कांग्रेस को इसका कोई जवाब देने की जरूरत है? यह सब आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा। पर यह विवाद आगे भी चलता रहेगा।

15 टिप्पणि

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    INDRA SOCIAL TECH

    अगस्त 15, 2024 AT 08:39
    इस तरह के आरोप हमेशा से चले आ रहे हैं। जब कोई सरकार अपनी नीतियों को समझाने में असमर्थ होती है, तो बाहरी शक्तियों को दोष देना आसान हो जाता है। लेकिन असली सवाल यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है?
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    Prabhat Tiwari

    अगस्त 17, 2024 AT 01:50
    सोरोस एक जासूसी नेटवर्क का हिस्सा है जो भारत को तोड़ने के लिए काम कर रहा है! हिन्डेन्बर्ग उनका टूल है और कांग्रेस उनका एजेंट! SEBI की अध्यक्ष भी उनकी तरफ से है! ये सब एक ग्लोबल कॉन्सिरेसी है जिसका मकसद हमारे लोगों का पैसा चुराना है! अगर आप इसे नहीं मानते तो आप भी उनके ही हो!
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    Palak Agarwal

    अगस्त 17, 2024 AT 10:15
    सोरोस के बारे में जो भी कहा जा रहा है, उसका असली मतलब ये है कि हम अपने अंदर की कमजोरियों को नहीं देखना चाहते। क्या हमने कभी सोचा कि हिन्डेन्बर्ग की रिपोर्ट का असली कारण कुछ और हो सकता है?
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    Paras Chauhan

    अगस्त 19, 2024 AT 03:10
    इस विवाद में दोनों पक्ष अपने-अपने नैरेटिव को बढ़ावा दे रहे हैं। सोरोस का फाउंडेशन दुनिया भर में लोकतंत्र को मजबूत करने में काम करता है। लेकिन जब यह भारत के लिए एक राजनीतिक बैलिस्टिक मिसाइल बन जाता है, तो हम वास्तविकता को खो देते हैं।
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    Jinit Parekh

    अगस्त 19, 2024 AT 12:18
    कांग्रेस को तो अब तक लगा था कि वो देश की जिम्मेदारी उठा सकती है। अब वो बस विदेशी पैसे से भारत को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है। सोरोस के पैसे से चलने वाली ये सारी आलोचनाएं बस एक फेक न्यूज़ कैंपेन है। भारत जीतेगा, और ये सब गंदगी धुल जाएगी।
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    udit kumawat

    अगस्त 21, 2024 AT 09:23
    ये सब बकवास है। कोई भी बाहरी शक्ति भारत को नहीं तोड़ सकती। हम खुद अपने अंदर से तोड़ रहे हैं। और अब बाहरी लोगों को दोष देकर अपना दिमाग बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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    Ankit Gupta7210

    अगस्त 21, 2024 AT 22:03
    हिन्डेन्बर्ग को अमेरिकी सरकार का एजेंट कहा जाता है और सोरोस को वहीं से फंड मिलता है। और कांग्रेस उनके साथ है। ये सब एक धारा है जो हमारे देश को नीचे खींच रही है। अगर आपको लगता है कि ये सब बकवास है, तो आपका दिमाग ब्रेनवॉश हो चुका है।
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    Drasti Patel

    अगस्त 22, 2024 AT 17:52
    राष्ट्रीय संप्रभुता के विरुद्ध एक अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अभियान चल रहा है। सोरोस के फंड लोकतंत्र के नाम पर विदेशी हस्तक्षेप का एक नया रूप हैं। यह एक जानबूझकर तैयार किया गया षड्यंत्र है जिसका उद्देश्य भारतीय जनता के विश्वास को तोड़ना है। यह एक ऐसा खतरा है जिसका सामना करने के लिए हमें एकजुट होना होगा।
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    Shraddha Dalal

    अगस्त 23, 2024 AT 15:15
    सोरोस के बारे में जो भी बात हो रही है, उसके पीछे एक बड़ी बात है - हमारी स्वयं की संस्थाओं की अक्षमता। अगर हमारे SEBI, CBI और RBI की जांच अच्छी होती, तो किसी बाहरी फर्म की रिपोर्ट का इतना बड़ा धमाल क्यों होता? हम अपनी खुद की गलतियों को देखने से बच रहे हैं।
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    mahak bansal

    अगस्त 24, 2024 AT 06:49
    क्या हम इतने भरोसेमंद हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था एक विदेशी निवेशक के खिलाफ खड़ी हो सकती है? या हम अपने अंदर की कमजोरियों को देखने के बजाय बाहर की ओर देख रहे हैं?
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    Jasvir Singh

    अगस्त 25, 2024 AT 12:52
    अगर सोरोस के पैसे से कोई भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है, तो फिर भारत के लोगों को अपने देश के बारे में क्यों चिंतित होना चाहिए? हमारी अर्थव्यवस्था इतनी कमजोर है कि एक व्यक्ति के पैसे से उड़ सकती है? ये सोच खतरनाक है।
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    Yash FC

    अगस्त 27, 2024 AT 00:22
    हम सब इस विवाद को एक राजनीतिक लड़ाई के रूप में देख रहे हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि हम अपने बाजार को कैसे सुदृढ़ करें? अगर हम अपने निवेशकों का विश्वास बनाए रखें, तो कोई भी बाहरी शक्ति हमें नहीं डरा सकती।
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    sandeep anu

    अगस्त 27, 2024 AT 09:32
    इस विवाद में भाजपा का दावा असली है! कांग्रेस ने अमेरिका के पैसे से भारत को बर्बाद करने की साजिश रची है! सोरोस ने राहुल गांधी को बर्तन दिया है और वो उसी से भारत के खिलाफ जहर डाल रहा है! भारत को जागना होगा! अगर आप यह बात नहीं मानते तो आप भी उनके एजेंट हैं!
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    Shreya Ghimire

    अगस्त 28, 2024 AT 05:17
    यह सब एक अत्यंत गहरा षड्यंत्र है जिसका शुरुआती बिंदु द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के समय से शुरू होता है, जब अमेरिकी निवेशकों ने विकासशील देशों में अपने फंड फैलाने शुरू किए थे, और उन्होंने लोकतंत्र के नाम पर आर्थिक अस्थिरता पैदा करना शुरू कर दिया था, जिसके लिए उन्होंने अपने निवेश के जरिए आर्थिक नीतियों को बदल दिया था, और जब देशों ने अपने आर्थिक स्वायत्तता को बचाने की कोशिश की, तो उन्हें राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह के लिए वित्तीय सहायता दी गई, और इस तरह से उन्होंने विकासशील देशों के शासन ढांचे को अंदर से तोड़ दिया, और अब भारत को भी यही नियति बर्ताई जा रही है, और इस बार उनके लिए एक नया उपकरण है - हिन्डेन्बर्ग रिसर्च - जो एक फेक न्यूज़ और शॉर्ट-सेलिंग का नया ढंग है, और इसके लिए उन्होंने कांग्रेस को अपना भारतीय एजेंट बना लिया है, जो अब देश के निवेशकों को भ्रमित कर रहा है और उन्हें अपने देश के खिलाफ उत्तेजित कर रहा है, और अगर हम इसे नहीं रोकेंगे, तो भारत की अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र दोनों खत्म हो जाएंगे।
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    Prasanna Pattankar

    अगस्त 28, 2024 AT 06:15
    ओह भगवान... अब तो सोरोस को भारत का शैतान बना दिया गया है। क्या हमारे देश के लिए इतनी बड़ी चुनौती तो नहीं है कि हम एक अमेरिकी बैंकर को दोष देकर अपनी बेकारी छुपा सकें? अगर आपका बाजार इतना कमजोर है कि एक व्यक्ति के पैसे से उड़ जाए, तो फिर आपका लोकतंत्र क्या है? एक ड्रामा?

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