भागलपुर के Sandis Compound में 28 राज्यों के व्यंजन और नौकायन का नया अनुभव
Sandis Compound को नया रूप देकर शहर के लोगों को एक ही जगह में भारत के विविध व्यंजनों का स्वाद देने का विचार अब वास्तविकता के करीब है। जयप्रकाश उद्यान में स्थित नेहरू स्मारक के पास यह स्थान पहले काफी खाली और बेज़ार था, पर अब इसे एक जीवंत खाने‑पीन के हब में बदल दिया जाएगा।
मुख्य आकर्षण और सुविधाएँ
परियोजना में 28 विभिन्न राज्यों के स्टॉल लगेंगे, जहाँ प्रत्येक राज्य का प्रामाणिक पकवान परोसा जाएगा। कुछ प्रमुख व्यंजन इस प्रकार हैं:
- बिहार – लिट्टी‑चोखा
- पंजाब – मक्की दी रोटी
- गुजरात – ढोकला
- महाराष्ट्र – वडा पाव
- राजस्थान – दाल‑बाती‑चूरमा
- दक्षिण भारत – इडली, डोसा, सांभर आदि
खाना‑पिना के अलावा, झील की साज‑सज्जा, साफ‑सुथरा बोटिंग एरिया और एरियन को रोशन करने के लिए लाइटिंग को भी सुधारा जाएगा। 250 सुरक्षा कैमरे लगे हैं जिससे सुरक्षा में वृद्धि होगी।
प्रवेश शुल्क, समय‑सारिणी और भविष्य की योजना
पर्यटक सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक इस अंडर‑कॉन्शियस मॉडल सेट‑अप का आनंद ले सकते हैं। सामान्य प्रवेश शुल्क तय है, लेकिन नियमित सैर‑सपाटे और खेल‑प्रेमियों को मुफ्त प्रवेश मिलेगा। न केवल स्थानीय लोग, बल्कि पास के जिलों की यात्रा भी बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में भी उत्थान की उम्मीद है।
भविष्य में इस कॉम्पाउंड को स्थायी रूप से स्थापित करने की योजना है, जिससे यह एक पर्यटन केंद्र, सांस्कृतिक मंच और खेल‑मजाक का बड़ा केंद्र बन सके।
INDRA SOCIAL TECH
सितंबर 27, 2025 AT 23:50Sandis Compound का यह विचार अच्छा है, लेकिन इसकी वास्तविक सफलता उस तरह से निर्भर करती है जैसे इसे संचालित किया जाएगा। बस स्टॉल लगा देना काफी नहीं है। लोगों को वहां आने का मन करेगा तभी यह जीवंत होगा। स्वच्छता, समय पर खाना, और व्यवस्था-ये तीन चीजें असली अंतर लाएंगी।
Prabhat Tiwari
सितंबर 28, 2025 AT 02:00ये सब बकवास है। जब तक हमारे देश में बाहरी देशों के फूड ट्रक्स नहीं बंद हो जाते, तब तक ये नकली ‘भारतीय’ स्टॉल बस एक चाल है। लिट्टी-चोखा को टूरिस्ट ट्रेंड बना दिया? ये सब वेस्टर्न इंफ्लुएंस का हिस्सा है। हमें अपने गांव के खाने पर फोकस करना चाहिए, न कि इस नकली शहरी फेक एक्सपीरियंस पर।
Palak Agarwal
सितंबर 29, 2025 AT 03:08इडली और डोसा के साथ सांभर भी होगा? अच्छा हुआ। मैंने कभी बिहार में ढोकला नहीं खाया, लेकिन अब जाने का मन कर रहा है। बस इतना याद रखना कि बारिश में बोटिंग वाला हिस्सा बंद रहेगा। वरना लोग भीग जाएंगे।
Paras Chauhan
सितंबर 29, 2025 AT 14:03ये प्रोजेक्ट वाकई बहुत सोच-समझकर बनाया गया है। राज्यों के व्यंजनों को एक जगह लाना सिर्फ खाने के लिए नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। लाइटिंग और सुरक्षा कैमरों का इंतजाम भी बहुत समझदारी से किया गया है। अगर ये जगह बरकरार रही, तो ये भारत की एक नई पहचान बन सकती है। 🙏
Jinit Parekh
अक्तूबर 1, 2025 AT 09:51मुफ्त प्रवेश? ये तो बहुत बड़ी गलती है। जो लोग बिना पैसे दिए आते हैं, वो बस घूमने आते हैं, न कि खरीदने। इससे स्टॉल वालों का नुकसान होगा। और फिर ये सब जाएगा बर्बाद। हमारे देश में लोगों को जिम्मेदारी सिखानी होगी। अगर आप अपना खाना खाना चाहते हैं, तो उसकी कीमत दें।
udit kumawat
अक्तूबर 2, 2025 AT 19:01250 कैमरे... बस क्या लगा रखे हैं? ये सब बस एक शो है। कोई देख रहा है? कोई जवाबदेह है? नहीं। लोग बस अपना खाना खाएंगे, फिर चले जाएंगे। ये जगह फिर से खाली हो जाएगी। बस एक बड़ा निवेश... जिसका कोई फायदा नहीं।
Ankit Gupta7210
अक्तूबर 3, 2025 AT 11:49राजस्थान के दाल-बाती-चूरमा को बिहार के साथ लिख दिया? ये गलत है। बाती तो राजस्थान की है, न कि बिहार की। और इडली को दक्षिण भारत में लिखा? बस एक बड़ा गलत अंदाज़ा है। ये प्रोजेक्ट तो बस एक बड़ा भ्रम है। किसी ने भी जांच नहीं की? ये सब बस एक नेता का बड़ा दावा है।
Drasti Patel
अक्तूबर 3, 2025 AT 13:56इस परियोजना के अंतर्गत जिस तरह से सांस्कृतिक विविधता को समाहित किया गया है, वह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। भारत के प्रत्येक राज्य के खाद्य परंपराओं को सम्मान देना, केवल एक खाने का मामला नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय अभियान है। यदि इसकी व्यवस्था अनुशासित रूप से की जाए, तो यह विश्व के सामने भारत की सांस्कृतिक गहराई को प्रस्तुत करेगा। यह एक ऐसा अवसर है जिसे उचित ढंग से निखारना आवश्यक है।