अयोध्या से शंघाई तक हवाई सेतु: एयर इंडिया 1 फरवरी 2026 को चीन लौट रही है
एयर इंडिया ने चीन के शंघाई के लिए अपनी हवाई सेवाएँ फिर से शुरू करने की घोषणा कर दी है — एक ऐसा कदम जो दोनों देशों के बीच छह साल के बंद होने के बाद असली ताकत दिखाता है। एयर इंडिया 1 फरवरी 2026 को दिल्ली और शंघाई (पुडॉंग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) के बीच नियमित नॉन-स्टॉप उड़ानें शुरू करेगी। ये उड़ानें हफ्ते में चार बार चलेंगी, और इनके लिए बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें बिजनेस क्लास में 18 फ्लैट बेड और इकोनॉमी क्लास में 238 सीटें होंगी। यह वापसी सिर्फ एक उड़ान नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक जुड़ाव की शुरुआत है — जिसके बंद होने का कारण न केवल कोविड-19 था, बल्कि 2020 में गलवान घाटी की सैन्य तनावपूर्ण घटना भी रही।
पहला कदम: इंडिगो ने खोला रास्ता
एयर इंडिया से पहले, इंडिगो ने 26 अक्टूबर 2025 को कोलकाता और ग्वांगज़ौ के बीच पहली नियमित नॉन-स्टॉप उड़ान शुरू की थी। इससे पहले, भारत से चीन जाने वाले यात्री तीन या चार कनेक्शन के साथ 16 घंटे से अधिक का समय बर्बाद करते थे। अब ये उड़ान सिर्फ छह घंटे में पूरी हो जाती है। इंडिगो ने 10 नवंबर 2025 से दिल्ली से ग्वांगज़ौ के लिए दैनिक उड़ानें भी शुरू कर दीं। इसके अलावा, इंडिगो ने चाइना साउथर्न एयरलाइंस के साथ कोडशेयर समझौता भी किया है — जिससे यात्रियों को एक ही बुकिंग में दोनों एयरलाइन्स की उड़ानों का लाभ मिलेगा।
चीन की ओर से खुला दरवाजा
चीन ने भी इस रास्ते को खोलने के लिए अपना हिस्सा निभाया है। शु फेहिहोंग, चीन के भारत में राजदूत, ने बताया कि 2025 में चीनी दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए 2,65,000 वीज़ा जारी किए — यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी है। वहीं, चीनी यात्रीयों के लिए भारत में वीज़ा प्रक्रिया भी सरल बनाई गई है। यह सब इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव कम हो रहा है। खासकर, कैलाश मनसरोवर की यात्रा के लिए वीज़ा सुविधाएँ फिर से शुरू कर दी गईं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
पहले कैसे था? एक भूला हुआ यादगार अतीत
2020 से पहले, भारत और चीन के बीच महीने भर में 539 नियमित सीधी उड़ानें चलती थीं। इनमें से 168 भारतीय एयरलाइन्स — इंडिगो और तब के सरकारी एयर इंडिया — चलाती थीं। बाकी 371 चीनी एयरलाइन्स — एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना साउथर्न — के थे। एक साल में दोनों देशों के बीच लगभग 12.5 लाख यात्री आवागमन करते थे। दिल्ली-शंघाई रूट पर अकेले 1.49 लाख यात्री सालाना उड़ान भरते थे। एयर इंडिया ने यह रूट 2000 में शुरू किया था — जब भारतीय व्यापारियों और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए चीन एक जरूरी गंतव्य बन गया था।
अब क्या बदलेगा? व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य की नई दौड़
इस नए हवाई सेतु से तीन चीजें बदल रही हैं। पहली — व्यापार। भारतीय आईटी कंपनियाँ, सप्लाई चेन मैनेजर्स और विनिर्माण निरीक्षक अब एक दिन में शंघाई पहुँच सकते हैं। दूसरी — शिक्षा। चीन में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, और अब उन्हें सिंगापुर या थाईलैंड से नहीं, बल्कि सीधे शंघाई या ग्वांगज़ौ जाने की सुविधा मिलेगी। तीसरी — स्वास्थ्य और वेलनेस टूरिज्म। भारत के आयुर्वेदिक उपचार, योग और यात्रा टूरिज्म को चीनी यात्री अब बड़ी आसानी से देख सकते हैं।
अगला कदम: मुंबई और ग्वांगज़ौ की उड़ानें
एयर इंडिया ने अभी तक केवल दिल्ली-शंघाई की उड़ानों की घोषणा की है, लेकिन अगले छह महीनों में मुंबई से शंघाई के लिए भी नियमित उड़ानें शुरू करने की योजना है। इसके अलावा, चीनी एयरलाइन्स भी दिल्ली-ग्वांगज़ौ और बेंगलुरु-शंघाई जैसे रूट्स पर वापसी की तैयारी में हैं। एयर इंडिया के लिए शंघाई 48वाँ अंतर्राष्ट्रीय गंतव्य बन जाएगा — जो इस एयरलाइन के वैश्विक विस्तार के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।
क्यों यह बड़ी बात है?
इस बात को समझने के लिए याद रखें: जब दो विशाल देशों के बीच हवाई सेतु टूटता है, तो यह सिर्फ उड़ानें नहीं रुकतीं — बल्कि व्यापार के अवसर, शिक्षा के अवसर, और लोगों के बीच विश्वास भी रुक जाता है। आज जब एयर इंडिया और इंडिगो फिर से चीन की ओर उड़ रही हैं, तो यह एक संदेश भेज रही है: ‘हम बातचीत करने को तैयार हैं।’ यह एक व्यावहारिक समझौता है — जो राजनीति से आगे निकलकर आम आदमी के जीवन को बदल रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एयर इंडिया की शंघाई उड़ानें किस तरह की होंगी?
एयर इंडिया दिल्ली-शंघाई के लिए हफ्ते में चार बार बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का उपयोग करेगी। इसमें 18 फ्लैट बेड वाली बिजनेस क्लास सीटें और 238 इकोनॉमी क्लास सीटें होंगी। उड़ान का समय लगभग 6 घंटे होगा, जो पहले की तुलना में 16 घंटे से काफी कम है।
क्या भारतीय यात्री चीन में आसानी से वीज़ा पा सकते हैं?
हाँ, चीनी दूतावास ने 2025 में 2.65 लाख भारतीय यात्रियों को वीज़ा जारी किए — यह एक बड़ी वृद्धि है। वीज़ा प्रक्रिया अब तेज़ और सरल हो गई है, खासकर धार्मिक यात्राओं और शिक्षा के लिए। कैलाश मनसरोवर यात्रा के लिए वीज़ा भी फिर से उपलब्ध हैं।
इंडिगो और एयर इंडिया के बीच क्या अंतर है?
इंडिगो ने पहले कोलकाता-ग्वांगज़ौ और दिल्ली-ग्वांगज़ौ जैसे रूट्स पर उड़ानें शुरू कीं, जबकि एयर इंडिया शंघाई जैसे बड़े व्यापारिक केंद्रों को निशाना बना रही है। इंडिगो के पास कोडशेयर समझौता है, जबकि एयर इंडिया लंबी दूरी की उड़ानों में बिजनेस क्लास की सुविधाओं पर जोर दे रही है।
क्या यह सिर्फ व्यापार के लिए है?
नहीं। यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी है। चीन में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, और भारत में चीनी यात्री आयुर्वेद, योग और धार्मिक स्थलों के लिए आ रहे हैं।
क्या अन्य भारतीय शहरों से भी चीन जाने की सुविधा बढ़ेगी?
हाँ। एयर इंडिया ने मुंबई-शंघाई रूट के लिए योजना बनाई है। चीनी एयरलाइन्स भी बेंगलुरु और हैदराबाद से चीन के लिए उड़ानें शुरू करने की तैयारी में हैं। यह एक व्यापक विस्तार है, जो अगले 12 महीनों में और बढ़ सकता है।
क्या यह भारत-चीन संबंधों में बदलाव का संकेत है?
बिल्कुल। हवाई सेतु की वापसी सिर्फ उड़ानों की बात नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास की वापसी है। जब दो देश अपनी उड़ानें फिर से शुरू करते हैं, तो यह दर्शाता है कि वे व्यावहारिक समस्याओं पर बातचीत करने को तैयार हैं — भले ही राजनीतिक तनाव बना रहे।
lakshmi shyam
नवंबर 29, 2025 AT 12:14अब बोइंग 787 लगाकर बिजनेस क्लास में फ्लैट बेड देकर क्या बदल गया? पहले भी ये सब था और फिर गलवान घाटी के बाद बंद हो गया - अब फिर से शुरू कर रहे हैं तो ये जीत है? नहीं भाई, ये तो बस बाजार की भूख है।
Sabir Malik
दिसंबर 1, 2025 AT 04:50ये बात बहुत खास है कि दो ऐसे देश जिनके बीच राजनीतिक तनाव था, वो अपने आम आदमी के लिए एक हवाई सेतु बना रहे हैं। इंडिगो ने कोलकाता-ग्वांगज़ौ रूट शुरू किया, फिर दिल्ली-ग्वांगज़ौ, अब एयर इंडिया ने शंघाई ले लिया - ये सिर्फ उड़ानें नहीं, ये विश्वास की नई पुलियाँ हैं। जब एक छात्र शंघाई जा रहा है या एक योगी चीन में आयुर्वेद सिखने के लिए जा रहा है, तो ये राजनीति से कहीं ऊपर की बात है। ये व्यावहारिक शांति है, जो गलवान के खून के बाद धीरे-धीरे फिर से जी रही है।