2025 में F‑1 वीज़ा संकट: भारतीय छात्रों की यूएस एनरोलमेंट में 70‑80% गिरावट
जब Sanjeev Rai, संस्थापक Hyderabad Overseas Consultants ने 2025 के F‑1 वीज़ा संकट की गंभीरता पर प्रकाश डाला, तब Ankit Jain, Window Overseas Education Consultancy और Poonam Gupta, Summit Legal LLC भी अपने‑अपने प्रमाण में इस संकट के कारणों को बताते हैं। इस बीच, US Department of State ने 2023‑2024 वित्तीय वर्ष में छात्र वीज़ा अस्वीकृति दर 41 % तक पहुंची बताई। President Donald Trump और Prime Minister Narendra Modi के बीच हालिया द्विपक्षीय बैठक में 8 अर्डर बिलियन डॉलर के आर्थिक योगदान की बात की गई थी।
इतिहासिक पृष्ठभूमि
पिछले पाँच सालों में भारतीय छात्रों की अमेरिकी वीज़ा स्वीकृति दर में लगातार उतार‑चढ़ाव रहा है। 2018 में 65.03 % से शुरू होकर 2019 में 74.62 % तक बढ़ी, फिर 2020 में pandemic के कारण 68.81 % पर गिरी। 2021 में एक छूट की तरह 80.16 % तक पहुँची, लेकिन 2022‑2024 में क्रमशः 65.07 %, 63.74 % और 58.99 % पर आ गिरावट देखी गई। इन आंकड़ों को International Institute of Education (Open Doors) के वार्षिक रिपोर्ट में विस्तृत किया गया है।
वर्तमान संकट की प्रमुख घटनाएँ
2025 में स्थिति जंगली हो गई। US Department of State के आंकड़ों के अनुसार, 2024‑2025 में भारतीय आवेदकों की F‑1 वीज़ा अस्वीकृति दर 41.01 % तक पहुँच गई, जबकि कुल वीज़ा अस्वीकृति दर 41 % रही। इस कारण 2024 में 234,500 से घटकर 2025 में मात्र 204,000 भारतीय छात्रों ने US कॉलेजों में प्रवेश किया। कई परामर्श एजेंसियों ने बताया कि इस वर्ष एंट्री‑सेशन से पहले भी छात्र वीज़ा नियुक्ति स्लॉट नहीं मिल पा रहे हैं।
संजेवी राय ने बताया, “विज़ा इंटरव्यू की सीटें फ्रीज या अनियमित हो रही हैं, और कई बार बुकिंग पोर्टल खुलता है लेकिन पुष्टि नहीं मिलती।” अनकिट जैन ने कहा, “छात्रों को रोज़ पोर्टल रीफ़्रेश करना पड़ता है, वरना साल का पूरा लक्ष्य खो जाता है।” पूनम गुप्ता ने बताया कि काफी मामलों में कांसुलर अधिकारी सेक्शन 214(b) के तहत आवेदन को अस्वीकार कर रहे हैं, जिससे स्वीकृति दर कई प्रमुख राज्यों में 50 % से नीचे गिर गई है।
हितधारकों की प्रतिक्रियाएँ
US Consulate in New York के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम वीज़ा स्लॉट्स को फिर से वार्षिक आधार पर व्यवस्थित कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से कुछ समय‑संपन्न सीमाएँ लागू हैं।” भारतीय विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया कि वह दो‑तरफ़ा संवाद के माध्यम से इस समस्या को सुलझाने के लिये अमेरिकी शास़न के साथ मिलकर काम कर रहा है। हालांकि, अमेरिकी ट्रम्प प्रशासन की ‘Buy American, Hire American’ नीति के चलते छात्रों को स्नातक के बाद रोजगार वीज़ा मिलने की संभावनाएँ भी घट गई हैं, जिससे कई छात्रों ने यूरोप या ऑस्ट्रेलिया जैसे वैकल्पिक गंतव्य चुन लिए हैं।
आर्थिक प्रभाव
भारतीय छात्रों का US अर्थव्यवस्था में वार्षिक योगदान $8 बिलियन से अधिक है, जिसमें ट्यूशन फीस, रहने‑सहने की लागत और स्थानीय खपत शामिल है। Open Doors रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 10 अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों का हिस्सा 2023 में 18 % से घटकर 2025 में लगभग 9 % हो गया। यह गिरावट न केवल विश्वविद्यालयों के राजस्व को प्रभावित करती है, बल्कि STEM रिसर्च, स्टार्ट‑अप इंटर्नशिप और तकनीकी नवाचार पर भी दीर्घकालिक असर डालती है।

विकल्प एवं भविष्य की दिशा
कई छात्र अब जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में मास्टर प्रोग्रामों को प्राथमिकता दे रहे हैं। एक 23‑वर्षीय aspirant ने NDTV को बताया, “मैं अब एक साल खोना नहीं चाहता, इसलिए जर्मनी में ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग का विकल्प चुना है।” भारतीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह यूरोप और कनाडा के साथ वैकल्पिक शैक्षिक समझौतों को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है, ताकि छात्रों को वैकल्पिक मार्ग मिल सकें। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि वीज़ा प्रक्रिया में सुधार नहीं हुआ तो अगले दो‑तीन साल में भारतीय छात्रों का US‑कैंपस हिस्सेदारी 5 % से भी कम हो सकती है।
- F‑1 वीज़ा अस्वीकृति दर 2024‑2025 में 41 % तक पहुंची
- भारतीय छात्र प्रविष्टि 2023‑2025 में 30 % से अधिक घट गई
- US की अर्थव्यवस्था को सालाना $8 बिलियन का नुकसान
- नए विकल्प: जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया में बढ़ती रुचि
- द्विपक्षीय वार्ता में वीज़ा राहत का वादा, भविष्य अनिश्चित
आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?
विशेषज्ञों का मत है कि US कांसुलर सेवाओं में तकनीकी सुधार, सटीक समय‑स्लॉट आवंटन और सेक्शन 214(b) की लचीलापन से अस्थायी राहत मिल सकती है। साथ ही, अमेरिकी सरकार के ‘दुर्लभ कौशल’ वीज़ा कार्यक्रमों में बदलाव भी भारतीय छात्रों के लिये नई उम्मीदें जगा सकता है। फिलहाल, अधिकांश परामर्श एजेंसियों ने छात्रों को “आगे के सत्र में पुनः आवेदन” करने की सलाह दी है और वैकल्पिक देशों के शैक्षणिक स्कीमों को सक्रिय रूप से देख रहे हैं।
Frequently Asked Questions
F‑1 वीज़ा अस्वीकृति दर में इतनी तेजी से वृद्धि क्यों हुई?
असहमति कई कारकों से जुड़ी है: कांसुलर पोर्टल में स्लॉट फ्रीज, सेक्शन 214(b) के तहत सख्त इंटरेक्शन मानदंड, और ट्रम्प प्रशासन की ‘Buy American, Hire American’ नीति से उत्पन्न अनिश्चितता। इन सबके मिलेजुले प्रभाव से 2024‑2025 में अस्वीकृति दर 41 % तक पहुंची।
भारतीय छात्रों के US में गिरते प्रवाह का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
US में छात्र खर्चों से भारतीय स्वयंसेवकों को प्रत्यक्ष टैक्स एवं सॉफ़्ट स्किल्स के साथ $8 बिलियन वार्षिक आय होती है। प्रवाह घटने से ये आय कम होगी, और भारतीय छात्रों की US‑अधारित रिटर्न, स्टार्ट‑अप फंडिंग और तकनीकी सहयोग भी सीमित हो सकते हैं।
कौन‑से वैकल्पिक देशों में भारतीय छात्रों की रुचि बढ़ रही है?
जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा प्रमुख विकल्प बन रहे हैं। इन देशों ने अब भारतीय छात्रों के लिए आसान वीज़ा प्रक्रियाएँ और पोस्ट‑स्टडी वर्क परमिट प्रदान करने की घोषणा की है, जिससे उन्हें आकर्षित किया जा रहा है।
क्या US सरकार वीज़ा प्रक्रिया में सुधार के लिए कोई योजना बना रही है?
अभी तक कोई स्पष्ट टाइमलाइन नहीं है, लेकिन US State Department ने कहा है कि वे कांसुलर सॉफ़्टवेयर को अपग्रेड कर रहे हैं और ‘सुरक्षा’ को ध्यान में रखते हुए अधिक स्लॉट उपलब्ध करने की कोशिश करेंगे। हालाँकि, नीति‑स्तर पर परिवर्तन अभी भी अनिश्चित है।
ट्रम्प‑मोडी द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे पर क्या वादा किया गया?
बैठक में दोनों पक्षों ने भारतीय छात्रों के आर्थिक योगदान को मान्यता दी और वीज़ा प्रोसेसिंग को तेज़ करने का इरादा जताया। लेकिन वर्तमान में यू.एस. कांसुलर नियमों में बदलाव नहीं आया है, इसलिए वादा अभी तक कागज़ी रूप में ही है।
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Chinmay Bhoot
अक्तूबर 6, 2025 AT 00:37ये वीज़ा अराजकता बस सरकारी अयोग्यता का नतीजा है। जो छात्र इंतजार में फंसे हैं, उनका भविष्य किलबिलाते हैं। कांसुलर ऑफिस में परीक्षकों का दिमाग भी शोर नहीं कर पाता। अब तो हर साल के लिए एक नया बहाना तैयार करना पड़ता है। पूरी बात तो है कि नीति में सब कुछ फंसा हुआ है।