ऊटी में दक्षिण भारत का एकमात्र उच्च-ऊँचाई खेल प्रशिक्षण केंद्र: खेलों में नई उड़ान

ऊटी में शुरू हुआ दक्षिण भारत का एकमात्र उच्च-ऊँचाई खेल प्रशिक्षण केंद्र

तमिलनाडु के नीलाईगिरि जिले के खूबसूरत पहाड़ियों में स्थित ऊटी (उधगमंडलम) अब खेल प्रेमियों के लिए एक नई दिशा प्रदान कर रहा है। यहाँ दक्षिण भारत का पहला और एकमात्र उच्च-ऊँचाई खेल प्रशिक्षण केंद्र उद्घाटित किया गया है। यह केंद्र राज्य के उन सभी युवा एथलीटों के लिए एक नयी उम्मीद लेकर आया है जो अपने खेल करियर में नई ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं।

सुविधाओं की नवीनता

यह उच्च-ऊँचाई खेल प्रशिक्षण केंद्र समुद्र तल से 2,240 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसमें एथलीटों के लिए अनेक अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने फरवरी माह में इसका उद्घाटन किया। यहाँ पर वर्तमान में तमिलनाडु के विभिन्न सरकारी स्कूलों से 50 एथलीट रह रहे हैं। ये सभी एथलीट स्पोर्ट्स डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ तमिलनाडु (एसडीएटी) हॉस्टल में ठहरे हुए हैं।

केंद्र में विशेष रूप से समर्पित रिकवरी सुविधाएँ, खेल चिकित्सा और मनोविज्ञान सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं ताकि एथलीटों के मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। इसके अलावा, उन्हें खेल फिजियोलॉजी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं जो उनकी प्रदर्शन को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भविष्य की योजनाएं

इस केंद्र में अभी और भी सुविधाओं को जोड़ने की योजना है जैसे कि वजन कक्ष और VO2 मैक्स मापने के उपकरण। एथलीटों के प्रदर्शन को मापने के लिए लैकोमीटर भी उपलब्ध हैं। इस केंद्र का प्रमुख लक्ष्य है कि यहाँ के प्रशिक्षित खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।

रामनाथपुरम जिले के P. रोयशन जैसे एथलीटों को उम्मीद है कि यह केंद्र उन्हें ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने में मदद करेगा। निरंतर उच्च-ऊँचाई प्रशिक्षण की आवश्यकता उन एथलीटों के लिए विशेष रूप से है जो धीरज वाले खेलों में हिस्सा लेते हैं।

खेल विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम

वरिष्ठ जिला खेल अधिकारी बी. इंदिरा ने बताया कि यह प्रशिक्षण केंद्र निरंतर विस्तारित होता रहेगा ताकि अधिक से अधिक एथलीटों को यहाँ प्रशिक्षित किया जा सके। नीलाईगिरि के इस क्षेत्र का इतिहास भी अत्यंत समृद्ध है और यहाँ से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट निकले है।

इसलिए, इस केंद्र के माध्यम से यहां के खिलाड़ियों को एक नई प्रेरणा मिलेगी और वे राज्य और देश के लिए अनेक उत्म खेल प्रदर्शन कर सकेंगे।

10 टिप्पणि

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    Saurabh Singh

    जून 26, 2024 AT 13:28
    ये सब बकवास है। 50 लड़के-लड़कियों को ऊटी में भेजकर ओलंपिक में मेडल जीतने की उम्मीद? जब तक हमारे स्कूलों में पानी और टॉयलेट नहीं है, तब तक ये सब फैक्टरी जैसा नाटक है।
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    INDRA MUMBA

    जून 27, 2024 AT 06:42
    इस केंद्र का वास्तविक जादू ये है कि यह एक निर्माण नहीं, बल्कि एक अंतर्दृष्टि है - एक ऐसी जगह जहाँ VO2 max, लैक्टेट थ्रेशोल्ड, और मानसिक टिकाऊपन के बीच एक अंतर्संबंध स्थापित होता है। ये एसडीएटी ने सिर्फ एक गिम नहीं बनाया, बल्कि एक न्यूरो-फिजियोलॉजिकल सिस्टम डिज़ाइन किया है जो एथलीट के शरीर के अंदर के अल्ट्रास्ट्रक्चर को रिमैप करता है।
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    Mali Currington

    जून 28, 2024 AT 16:21
    बस इतना ही? बस 50 बच्चों को भेज दिया और बड़ा बड़ा नाम लगा दिया। मैंने तो अपने शहर में एक खेल का मैदान बनवाने के लिए 8 साल लड़ा था।
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    Sonia Renthlei

    जून 29, 2024 AT 14:36
    मुझे याद है, जब मैं बच्ची थी, मेरे पिताजी ने मुझे रोज सुबह 5 बजे उठाकर पहाड़ पर दौड़ने के लिए भेज दिया था - बिना जूते के, बिना किसी सुविधा के। उस समय कोई केंद्र नहीं था। आज ये बच्चे जो रिकवरी सुविधाओं, फिजियोथेरेपी, और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकारों के साथ अपना दिन बिता रहे हैं, वो सचमुच भाग्यशाली हैं। मैं उन्हें बस एक बात कहना चाहती हूँ - ये सब आपके लिए नहीं, बल्कि आपके बाद आने वाले छोटे बच्चों के लिए है।
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    Anand Bhardwaj

    जून 29, 2024 AT 19:50
    ऊटी में ये केंद्र बना है? तो फिर वो बच्चे जो गरीबी में रहते हैं और बस एक जोड़ी जूते भी नहीं खरीद पाते, उनके लिए क्या है? ये सब बस एक फोटो शूट का नाटक है।
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    Aryan Sharma

    जुलाई 1, 2024 AT 04:56
    ये सब चीज़ें अमेरिका और चीन के लिए हैं। यहाँ तो सरकार अपने बाप के नाम पर हॉस्टल बनवा रही है। ये एथलीट जो यहाँ हैं, वो शायद सरकारी नौकरी के लिए ले आए गए हैं। ओलंपिक? नहीं भाई, ये तो बस एक रिपोर्ट बनाने का तरीका है।
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    Rishabh Sood

    जुलाई 2, 2024 AT 23:54
    एथलीटिक प्रदर्शन के संदर्भ में, उच्च-ऊंचाई प्रशिक्षण के जैविक उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार अत्यंत जटिल है। एचबीए उत्पादन, एरिथ्रोपोएटिन के स्तर, और माइटोकॉन्ड्रियल घनत्व में परिवर्तन का अध्ययन करना आवश्यक है। यह केंद्र एक निर्माणात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय खेल विज्ञान समुदाय द्वारा उचित रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए।
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    Nalini Singh

    जुलाई 3, 2024 AT 04:10
    मैं ऊटी के तमिल लोगों के बारे में बात कर रही हूँ - वे अपने संस्कृति के साथ खेल को जोड़ते हैं। यहाँ के बच्चे दौड़ते हुए गाने गाते हैं, और उनकी ताकत उनकी जड़ों में है। ये केंद्र उनकी आत्मा को नहीं, बल्कि उनके शरीर को बढ़ाता है। यही असली विजय है।
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    RAJIV PATHAK

    जुलाई 4, 2024 AT 03:08
    अच्छा हुआ कि ये सब ऊटी में हुआ। अगर ये चेन्नई में होता, तो ये सब एक बार फिर से निर्माण और निर्माण का चक्र होता। यहाँ तो हवा भी अलग है। आप जानते हैं कि वो एथलीट जो यहाँ आते हैं, वो बस शरीर नहीं, बल्कि अपनी आत्मा को भी नए सिरे से ढूंढ रहे हैं।
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    udit kumawat

    जुलाई 5, 2024 AT 20:28
    इसका कोई फायदा नहीं है।

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