तूफ़ान – क्या है, कैसे बनता है और कैसे तैयार रहें?
जब हम तूफ़ान, एक तीव्र वायुमंडलीय घातक हवा और वर्षा का संयोजन है जो बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकता है. इसे कभी‑कभी तूफान भी कहा जाता है, और यह वायुमंडलीय तूफान की श्रेणी में आता है। भारत में अक्सर यह मौसम विज्ञान के विशेषज्ञों द्वारा पहचाने जाने वाले पश्चिमी विषी के कारण उत्पन्न होता है, जिससे भारी बारिश होती है। तूफ़ान के प्रभाव, कारण और तैयारियों के बारे में जानना सुरक्षा की पहली कदम है।
तूफ़ान बनने की प्रक्रिया में कई तत्व शामिल होते हैं। गरम हवा ऊपर उठती है, ठंडी हवा नीचे आती है, और इस बायो‑क्रोमैटिक सर्कुलेशन से वायुमंडलीय दाब में अंतर पैदा होता है। जब ये अंतर बड़ी गति से बदलते हैं, तो बॉर्डर लेयर में गहरी घुमाव उत्पन्न होती है, जिससे तेज़ हवाओं और तूफ़ानी बिंदुओं का निर्माण होता है। यही कारण है कि वायुमंडलीय गति को अक्सर तूफ़ान वायु गति कहा जाता है।
भावनात्मक रूप से, तूफ़ान का सबसे स्पष्ट असर भारी बारिश और तेज़ हवाओं में देखा जाता है। बाढ़, बवंडर, पेड़ का गिरना और इमारतों की क्षति आम रूप से रिपोर्ट की जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में पिछले कुछ वर्षों में हुई बार‑बार की घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि चाहे उत्तर में बेमेन के ज्वार‑भाटा हों या दक्षिण में कोस्टल स्टॉर्म, भारी बारिश ही अक्सर सबसे नुकसानदेह प्रभाव रही है।
सरकारी एजेंसियां और मौसम विज्ञान विभाग नियमित अलर्ट जारी करते हैं ताकि लोगों को समय से पहले तैयार किया जा सके। भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा जारी भारी बारिश अलर्ट में आमतौर पर क्षेत्र, संभावित बाढ़ स्तर और सुरक्षा उपायों की जानकारी होती है। स्थानीय प्रशासन भी सड़कों को बंद करना, जल निकासी व्यवस्था की जांच और राहत केन्द्र स्थापित करने जैसे कदम उठाता है। यह सब मिलकर एक विस्तृत तैयारी योजना बनाते हैं जो जीवन और संपत्ति को बचा सकती है।
हाल ही में मध्य प्रदेश के भोपाल‑इंदौर में भारी बारिश अलर्ट जारी किया गया था, जिसमें पश्चिमी विषी के कारण 6 अक्टूबर को तेज़ वर्षा की संभावना रही। यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे पश्चिमी विषी के कारण अचानक तूफ़ानी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं और स्थानीय जनता को तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। ऐसे अलर्ट रोज़मर्रा की खबरों में प्रमुखता से दिखते हैं, इसलिए इन सूचनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
क्लाइमेट बदलते माहौल ने तूफ़ानों की आवृत्ति और तीव्रता को भी प्रभावित किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ोतरी से समुद्री सतह का तापमान उठता है, जिससे अधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है और टॉप‑लीवल स्ट्रॉंग टॉर्नेडो, साइक्लोन आदि का जोखिम बढ़ता है। इसलिए मौसम विज्ञान के अध्ययन में न केवल मौजूदा पैटर्न बल्कि भविष्य के परिवर्तन के मॉडल भी शामिल होते हैं। यह जानकारी नीतिनिर्माताओं को बेहतर आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ बनाने में मदद करती है।
आधुनिक पूर्वानुमान तकनीकें जैसे रडार, सैटेलाइट इमेजिंग और कंप्यूटर मॉडलिंग ने तूफ़ानों की सटीकता बढ़ा दी है। इन तकनीकों के मदद से मौसम विभाग कुछ घंटों पहले ही तीव्र वायुमंडलीय परिवर्तन को पहचान कर अलर्ट जारी करता है। साथ ही, मोबाइल ऐप और SMS सेवाएं जनसंख्या तक त्वरित सूचना पहुंचाती हैं, जिससे लोग जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। नागरिकों को भी अपने घरों के आसपास जलीय निकासी रास्ते और आपातकालीन बक्से की जानकारी रखनी चाहिए।
इन सभी पहलुओं को समझते हुए अब आप नीचे दिए गए लेखों में विभिन्न तूफ़ान‑संबंधी समाचार, विशेषज्ञ राय और तैयारी के टिप्स देखेंगे। चाहे वह पेशेवर मौसम विज्ञान की रिपोर्ट हो या स्थानीय स्तर पर हुई हालिया घटना, यहाँ हर जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। अब इन उपयोगी संसाधनों को पढ़ें और अपने और अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
उत्तरी प्रदेश बारिश चेतावनी: 25‑30 सितम्बर तक भारी बारिश, तूफ़ान और बिजली की संभावना
इण्डिया मौसम विभाग ने 25 से 30 सितम्बर 2025 तक उत्तर प्रदेश में भारी बारिश, तेज़ गरज‑तूफान और बिजली की चेतावनी जारी की है। पश्चिमी प्रदेश को 27 सितम्बर को विशेष रूप से स्कॉइल का जोखिम बताया गया है। तापमान 26‑34°C के बीच रहेगा और 30‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं की संभावना है। नागरिकों को सावधान रहने और आवश्यक उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।