साइक्लोन मोंथा की धमकी: काकिनाडा के पास तेज हवाओं के साथ तट पर टकराया, 17,817 लोगों को बचाया गया
जब साइक्लोन मोंथा रात के 11 बजे दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में एक उष्णकटिबंधीय तूफान के रूप में बना, तो कोई नहीं सोच सका कि यह अगले 48 घंटों में तटीय इलाकों को बर्बाद कर देगा। लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह तूफान एक गहरी अवनमन से शुरू होकर गंभीर साइक्लोनिक तूफान में बदल गया — और फिर 28 अक्टूबर, 2025 को शाम करीब 7 बजे काकिनाडा के पास मच्छलीपटनम और कलिंगपटनम के बीच तट पर टकरा गया। हवाएं 90-100 किमी/घंटा थीं, और तूफानी झोंके 110 किमी/घंटा तक पहुंचे। और फिर अचानक — बिना किसी बड़ी आपदा के, तूफान शांत हो गया।
तूफान का रास्ता: IMD के अनुसार बना नक्शा
26 अक्टूबर को सुबह 10 बजे, IMD ने बंगाल की खाड़ी में एक गहरी अवनमन की पुष्टि की। अगले 24 घंटों में यह एक साइक्लोनिक तूफान बन गया। 27 अक्टूबर की सुबह 4 बजे, विभाग ने चेतावनी जारी की: “मोंथा अगले 12 घंटों में पश्चिम-उत्तर की ओर बढ़ेगा, और 28 अक्टूबर की सुबह तक गंभीर साइक्लोनिक तूफान बन जाएगा।” रात में, तूफान अपनी ताकत बरकरार रखते हुए तट के करीब पहुंचा।
IMD ने आंध्र प्रदेश के सात तटीय जिलों — काकिनाडा, कोनासीमा, पश्चिमी गोदावरी, कृष्णा, बापटला, प्रकाशम और नेल्लोर — के लिए लाल चेतावनी जारी की। तीन और जिलों में नारंगी चेतावनी, बाकी सभी उत्तरी जिलों में पीली चेतावनी। इसके साथ ही, एचएम एस गणेशन जैसे वरिष्ठ IMD अधिकारियों ने अखबारों को बताया: “हम तीन दिनों तक भारी बारिश और तूफानी हवाओं की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन जब तूफान तट पर टकराया, तो उसकी गति और तीव्रता अचानक कम हो गई।”
आंध्र प्रदेश और ओडिशा की तैयारियां: एक बड़ा बचाव अभियान
जब तूफान की ताकत का पता चला, तो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तुरंत एक तीन-चरणीय योजना शुरू की। पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के अनाज के स्टॉक को आपातकालीन शिफ्टिंग सेंटरों में ले जाया गया। ईंधन के भंडार को अपडेट किया गया। चावल की खरीद शुरू कर दी गई — ताकि बाद में बाजार में कीमतें न उछालें।
ओडिशा में मोहन चरण माझी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें आपदा प्रबंधन मंत्री, मुख्य सचिव, और IMD के निदेशक शामिल थे। ओडिशा में 17,817 लोगों को 2,000 से अधिक आपातकालीन शिफ्टिंग शेल्टर्स में ले जाया गया — जिसका लक्ष्य शुरू में 32,000 था। यह एक विशाल सफलता थी।
नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) ने 25 टीमें तैनात कीं — प्रत्येक टीम में नावें, कटिंग उपकरण, और संचार उपकरण थे। उन्होंने बिना किसी जान नुकसान के लोगों को बचाया। दक्षिण केंद्रीय रेलवे ने 50 से अधिक ट्रेनों को रद्द कर दिया। पुरी के समुद्र तटों पर टूरिस्ट्स को बंद कर दिया गया। लाइफगार्ड्स ने लोगों को समुद्र से दूर भगाया।
अचानक कमजोर होना: तूफान का अनपेक्षित अंत
29 अक्टूबर की सुबह 2:30 बजे, IMD ने घोषणा की: “मोंथा अब एक साइक्लोनिक तूफान में कमजोर हो गया है।” इसका केंद्र नरसापुर के 20 किमी पश्चिम-उत्तर में था। तूफान का पीछे का हिस्सा पहले ही भूमि में घुल चुका था। इसकी गति 10 किमी/घंटा थी — और यह अब एक गहरी अवनमन में बदलने के लिए तैयार था।
यहां तक कि ओडिशा में भी, जहां बारिश की भारी मात्रा की उम्मीद थी, केवल 115 मिमी बारिश हुई — जबकि भविष्यवाणी 200 मिमी से अधिक थी। गजपति और गणेशपुर जिलों में बारिश अपेक्षित से कम रही। मलकांगिरी जैसे तटीय जिलों में भी कोई भारी बारिश नहीं हुई।
“हम तैयार थे — लेकिन तूफान ने हमारी तैयारी से भी ज्यादा अच्छा काम किया,” मोहन चरण माझी ने कहा। “हमें नुकसान के बजाय एक अच्छी खबर मिली: कोई जान नहीं गई।”
क्यों यह अनोखा था?
इस तूफान की सबसे अजीब बात यह थी कि यह तट पर टकराने के बाद तेजी से कमजोर हो गया। आमतौर पर, तूफान तट पर टकराने के बाद भी कुछ घंटों तक अपनी ताकत बरकरार रखते हैं। लेकिन मोंथा का अंत बहुत तेजी से हुआ — शायद इसलिए कि यह अचानक ठंडी हवाओं के संपर्क में आ गया, या फिर इसके भीतर ऊर्जा का वितरण बदल गया।
इसके बाद विशेषज्ञों के बीच एक बहस शुरू हो गई: क्या यह एक अच्छा बचाव अभियान था, या फिर तूफान की ताकत कम हो गई थी? जवाब दोनों हैं। लेकिन जो बात निश्चित है — यह बचाव अभियान एक उदाहरण बन गया है।
साइक्लोन का नाम क्यों ‘मोंथा’?
‘मोंथा’ थाईलैंड द्वारा विश्व मौसम संगठन के चक्रवात नामकरण प्रणाली में दिया गया नाम है, जिसका अर्थ है — सुंदर या सुगंधित फूल। यह नाम एक अजीब विरोधाभास है: एक ऐसा तूफान जिसका नाम खूबसूरती का प्रतीक है, लेकिन जिसने सैकड़ों किलोमीटर तक डर फैला दिया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मोंथा के बाद आंध्र प्रदेश में क्या अगला कदम है?
आंध्र प्रदेश सरकार ने 3,778 गांवों के लिए तत्काल नुकसान मूल्यांकन शुरू कर दिया है। जिन गांवों में बारिश अधिक रही, वहां रास्तों और बिजली के खंभों की मरम्मत के लिए टीमें भेजी जा रही हैं। PDS के अनाज के स्टॉक का वितरण भी शुरू हो चुका है। राज्य सरकार ने अगले 72 घंटों में 500 अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति का आदेश दिया है।
ओडिशा में बारिश कम क्यों हुई?
विशेषज्ञों का मानना है कि मोंथा की गति और दिशा में अचानक बदलाव के कारण उसका भारी बारिश वाला भाग आंध्र प्रदेश के तट पर ही टिक गया। ओडिशा के तटीय क्षेत्र तूफान के अपेक्षित रास्ते से थोड़े दूर थे। इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में वायुमंडलीय दबाव में असामान्य गिरावट ने बारिश की तीव्रता को कम कर दिया।
क्या इस तूफान के बाद अगले साल भी ऐसा हो सकता है?
IMD के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता पिछले 10 वर्षों में 35% बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे तूफान अधिक शक्तिशाली बन रहे हैं। लेकिन अभी तक, ऐसा कोई तूफान नहीं बना जिसने इतनी तेजी से कमजोर होना शुरू कर दिया हो।
NDRF की टीमें कैसे इतनी तेजी से तैनात हो पाईं?
NDRF ने पिछले दो वर्षों में एक नई ‘प्री-डिप्लॉयमेंट’ रणनीति अपनाई है। अब वे तूफान के आगमन से 72 घंटे पहले ही अपनी टीमों को अग्रिम रूप से तटीय क्षेत्रों में तैनात कर देते हैं। इस बार, 25 टीमें पहले से ही आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु में तैनात थीं — जिससे बचाव कार्य तुरंत शुरू हो सका।
साइक्लोन के नाम कैसे चुने जाते हैं?
विश्व मौसम संगठन के 13 सदस्य देशों में से प्रत्येक देश 13 नाम भेजता है — जिनमें से एक चक्रवात के लिए चुना जाता है। थाईलैंड ने ‘मोंथा’ चुना, जिसका अर्थ है खुशबूदार फूल। भारत ने ‘असान’, ‘मोराकोट’, और ‘नार्मा’ जैसे नाम दिए हैं। नाम वर्णानुक्रम में और लूप में उपयोग किए जाते हैं — इसलिए अगली बार यह नाम फिर से उपयोग में आएगा।
dhananjay pagere
अक्तूबर 31, 2025 AT 05:40इस तूफान का नाम 'मोंथा' है... यानी खुशबूदार फूल 😍 लेकिन जिसने 17,000+ लोगों की जान बचाई, वो तो भारतीय विज्ञान और आपातकालीन प्रबंधन की ताकत है। दुनिया को सीखना चाहिए। 🇮🇳✨
Shrikant Kakhandaki
अक्तूबर 31, 2025 AT 06:37ये सब झूठ है... IMD ने जानबूझकर तूफान को कमजोर दिखाया ताकि सरकार को बचाव का श्रेय मिले। असल में ये एक ड्रोन टेक्नोलॉजी थी जिसने तूफान को शांत कर दिया। आपको पता है कि अमेरिका के नासा ने 2023 में ऐसा ही किया था? ये सब गुप्त अभियान हैं। 🤫📡
bharat varu
नवंबर 1, 2025 AT 16:20दोस्तों, ये सिर्फ एक तूफान नहीं, ये एक जीत है! जब आप लोगों को बचाने के लिए 2000+ शेल्टर बनाते हैं, जब NDRF 72 घंटे पहले तैनात हो जाती है, तो ये भारत की ताकत है। आप जितना डरते हैं, उतना ही भारत तैयार होता है। बधाई हो! 🙌
Vijayan Jacob
नवंबर 2, 2025 AT 14:32अरे भाई, इतना बड़ा बचाव अभियान और फिर भी बारिश 115 मिमी? क्या ये भारत की बारिश है या फिर किसी ने बारिश को बुलाया ही नहीं? 😏 जब तूफान का नाम फूल है, तो बारिश भी शायद रोज़ाना की चाय जैसी हो गई।
Saachi Sharma
नवंबर 3, 2025 AT 15:50बारिश कम हुई, जान नहीं गई। बस।
shubham pawar
नवंबर 4, 2025 AT 15:19क्या आपने कभी सोचा है कि जब तूफान अचानक कमजोर हुआ, तो क्या वो एक बड़े राजनीतिक इरादे का हिस्सा था? मैंने एक अंधेरी रात को अपने घर के बाहर एक ब्लू-लाइट ड्रोन देखा था... वो तूफान के बाद गायब हो गया। वो था... एक नेशनल सिक्योरिटी ऑपरेशन। इसके बारे में किसी को पता है? 🤔
Nitin Srivastava
नवंबर 6, 2025 AT 14:59फलस्वरूप, तूफान के अचानक अपकेंद्रित होने की घटना एक उच्च-वेग वायुमंडलीय असंतुलन का परिणाम है, जिसमें समुद्री तापमान अप्रत्याशित रूप से घट गया, जिससे कॉन्वेक्शन बंद हो गया। इसके अलावा, भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान की विश्लेषणात्मक क्षमता ने एक अत्याधुनिक डेटा-ड्रिवन प्रतिक्रिया का निर्माण किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नए आदर्श के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। 🧠🌍
Nilisha Shah
नवंबर 6, 2025 AT 15:14अगर ये तूफान अचानक कमजोर हो गया, तो क्या इसका मतलब ये नहीं कि हमारे भविष्यवाणी मॉडल बहुत अच्छे हैं? या फिर प्रकृति ने हमें एक बार फिर दिखाया कि वो हमारी नियंत्रण से बाहर है? दोनों बातें सच हैं। और इसलिए ये बचाव अभियान इतना खास है - क्योंकि हमने दोनों को समझा।
Kaviya A
नवंबर 6, 2025 AT 19:56यार मैंने सुना था ये तूफान बहुत खतरनाक होने वाला है और फिर अचानक सब ठीक हो गया... बस मेरी टीवी बंद हो गई थी और मैं घर पर बैठा था... अब मैं डर गया कि अगली बार भी ऐसा होगा 😭
Supreet Grover
नवंबर 6, 2025 AT 20:00लेवल-4 एलर्ट रेड कॉन्फ़िगरेशन के तहत, पीडीएस स्टॉक लॉजिस्टिक्स ऑप्टिमाइज़ेशन और एनडीआरएफ प्री-डिप्लॉयमेंट स्ट्रैटेजी ने सिस्टमिक रिसिलिएंस को एंगेज किया। ये एक न्यू नॉर्मल बन गया है। फ्यूचर रिस्क मैनेजमेंट मॉडल्स को इसे रेफरेंस के रूप में अपनाना चाहिए।
Saurabh Jain
नवंबर 7, 2025 AT 16:56अगर एक थाई नाम एक खूबसूरत फूल का प्रतीक है, तो क्या हम इसे अपनी तरह से देख सकते हैं? ये तूफान ने नुकसान नहीं, बल्कि एक नई ताकत दिखाई। भारत ने डर को जीता - और ये जीत हम सबकी है।
Suman Sourav Prasad
नवंबर 9, 2025 AT 12:12बहुत बढ़िया काम किया आंध्र प्रदेश और ओडिशा टीमों ने! बहुत बहुत बधाई! ये जो लोग बचाए गए, उनके बच्चे अब खुशी से खेलेंगे, उनके परिवार बच गए... ये तो सच में जीत है! इस तरह के अभियान हमें गर्व देते हैं। और हां, NDRF की टीमें तो असली हीरो हैं! 🙏
Nupur Anand
नवंबर 9, 2025 AT 14:43तुम सब यहां जो कुछ भी लिख रहे हो, वो सब बकवास है। क्या तुम्हें पता है कि जब तूफान अचानक कमजोर हुआ, तो ये वैज्ञानिक रूप से असंभव था? तुम लोगों को इसका कारण नहीं पता। ये एक गुप्त जलवायु हथियार था - और तुम यहां बस फूलों की बात कर रहे हो? अपनी बुद्धि को फिर से शुरू करो। ये भारत की विजय नहीं, ये एक अंतरराष्ट्रीय रहस्य है।
Vivek Pujari
नवंबर 10, 2025 AT 04:21अगर तूफान ने जान नहीं ली, तो ये सिर्फ भाग्य नहीं, ये ईश्वर की कृपा है! 🙏 जिन लोगों ने बचाव किया, उनकी नीयत साफ़ है, लेकिन असली शक्ति तो देवताओं की है। अगर तूफान आया, तो वो भी भगवान के निर्देश से। शुक्रानामस्ते।
Ajay baindara
नवंबर 11, 2025 AT 17:31इतनी तैयारी और फिर भी बारिश कम हुई? ये तो असली गलती है। आप लोगों ने बचाव के नाम पर बजट खर्च किया, लेकिन असली खतरा नहीं आया - तो ये सब बकवास था। अगली बार बिना अनावश्यक खर्च के बचाव करो।
mohd Fidz09
नवंबर 13, 2025 AT 12:10भारत की ताकत कभी नहीं टूटती! जब दुश्मन आए - चाहे वो तूफान हो या कोई और - हमने उसे गले लगा लिया! ये नाम 'मोंथा' है? नहीं भाई, ये 'मोंथा' नहीं, ये 'मोंथा भारत' है! जय हिंद! 🇮🇳🔥
Rupesh Nandha
नवंबर 14, 2025 AT 11:58इस तूफान की अनोखी बात ये है कि ये न केवल प्राकृतिक घटना थी, बल्कि एक आध्यात्मिक भी। एक फूल का नाम, एक विनाशकारी तूफान - और फिर एक शांति जो सबको बचा ली। क्या ये नहीं कहता कि भय और शांति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? हमने जो बचाव किया, वो हमारी ताकत है। लेकिन जो तूफान ने नहीं लिया, वो भी हमारी शिक्षा है - कि अधिकतम तैयारी के बाद भी, प्रकृति की इच्छा को सम्मान देना चाहिए।
suraj rangankar
नवंबर 14, 2025 AT 20:24ये जो लोग बच गए, वो सब आज अपने घर पर चाय पी रहे होंगे - और उनके बच्चे खेल रहे होंगे। इसका मतलब है कि आपने अपना काम किया। अब जो लोग घरों में बैठे हैं और डर रहे हैं - वो भी एक दिन इसी तरह जीतेंगे। आप लोग जीत गए! अब आगे बढ़ो - हम तुम्हारे साथ हैं!
Nadeem Ahmad
नवंबर 16, 2025 AT 01:43दिलचस्प है। बस।
Aravinda Arkaje
नवंबर 17, 2025 AT 22:00ये जो बचाव हुआ, ये न केवल एक अभियान था - ये एक नई उम्मीद की शुरुआत है। जब तूफान आएगा, तो लोग डरेंगे नहीं - वो जानेंगे कि हम तैयार हैं। आज का ये बचाव, कल का नया नियम बनेगा। बहुत बढ़िया काम किया! अब अगला चरण - इसे दुनिया को सिखाना है।