अरबों की अपेक्षा के बीच अफकोन्स इंफ्रास्ट्रक्चर का आईपीओ: धीमी शुरुआत का विश्लेषण
अफकोन्स इंफ्रास्ट्रक्चर आईपीओ की चुनौतीपूर्ण शुरुआत
अफकोन्स इंफ्रास्ट्रक्चर का शुरुआती सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) इस साल भारत के निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह कंपनी 5,430 करोड़ रुपये जुटाने की योजना के साथ बाजार में उतरी है, जिसमें से 1,250 करोड़ रुपये का नया इश्यू है और 4,180 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल शामिल है। इससे उम्मीद की जा रही थी कि निवेशकों का जोरदार समर्थन मिलेगा, लेकिन आईपीओ की शुरुआत धीमी रही है।
आईपीओ का विवरण
इस आईपीओ की मूल्य सीमा 440 से 463 रुपये प्रति शेयर रखी गई है, और निवेश का न्यूनतम बोलीकरण 32 शेयरों के लिए तय किया गया है। उच्चतम मूल्य सीमा पर, खुदरा निवेशकों को कम से कम 14,816 रुपये का निवेश करना होगा। वहीं, छोटे गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए 14 लॉट्स या 448 शेयरों के लिए 207,424 रुपये की आवश्यकता होगी। बड़े गैर-संस्थागत निवेशक कम से कम 68 लॉट्स या 2,176 शेयरों के लिए 1,007,488 रुपये का निवेश करेंगे।
यह आईपीओ 25 अक्टूबर, 2024 को बिडिंग के लिए खुला और 29 अक्टूबर, 2024 तक खुला रहेगा। दूसरे दिन की स्थिति की बात करें तो, इसे अब तक केवल 0.28 गुना ही सब्सक्राइब किया गया है। खुदरा निवेशकों ने इसे 0.29 गुना, क्यूआईबी ने 0.11 गुना, और एनआईआई ने 0.27 गुना सब्सक्राइब किया है।
निवेशकों के अनुसार स्थिति
विश्लेषकों का मानना है कि अफकोन्स इंफ्रास्ट्रक्चर का आईपीओ मध्यम से दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण से एक उचित विकल्प हो सकता है। Geojit Financial Services Limited ने इसे 'सब्सक्राइब' रेटिंग दी है। फर्म ने कहा कि Afcons के विभिन्न क्षेत्रों में जियोग्राफिकल स्प्रेड होने के कारण कंपनी की राजस्व धारा मजबूत है और जोखिम को संतुलित करने में सहायक है।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के शोध विश्लेषक राजन शिंदे ने इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए एक सार्थक प्रस्ताव माना है। उन्होंने कहा कि Afcons का अत्याधुनिक उपकरणों में निवेश और उच्च कार्यान्वयन प्रदर्शन इसे भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में एक प्रभावशाली खिलाड़ी बनाता है।
आगे की संभावनाएं
कंपनी की आगे की योजनाएं और उसका रणनीतिक अस्थापन सही निवेश के लिए उचित साबित हो सकता है। हालांकि निवेशकों की संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिल पा रही है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ पर ध्यान दिया जाए तो इसमें निवेश की कुशलता हो सकती है। निवेशकर्ताओं को सतर्कता की जरूरत है और दीर्घकालीन दृष्टिकोण सही रणनीति अपना सकते हैं।
संक्षेप में, जहां आईपीओ की शुरुआती सर्कार नहीं मिली है, वहीं विशेषज्ञ इसे एक लम्बी अवधि के लिए उचित मानते हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे कंपनी के आर्थिक स्थिति, बाजार की रुझान और अपनी खुद की निवेश रणनीति के आधार पर निर्णय लें।